रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन चार साल बाद भारत की धरती पर कदम रखने वाले हैं। 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध की शुरुआत के बाद यह उनका पहला भारत दौरा है, जो 4-5 दिसंबर को होने वाला है। दुनिया भर की नजरें इस यात्रा पर टिकी हैं, क्योंकि यह न सिर्फ भारत-रूस के दशकों पुराने रणनीतिक रिश्तों को नई ताकत देगी, बल्कि वैश्विक कूटनीति के लिहाज से भी मील का पत्थर साबित होगी। रूस को यूक्रेन संकट के बीच भारत जैसे भरोसेमंद साझेदार का कूटनीतिक बैकिंग चाहिए, तो भारत रक्षा, ऊर्जा और व्यापार जैसे क्षेत्रों में रूस से अपनी जरूरतें पूरी करने को बेताब है।
तो सवाल यह है कि पुतिन का यह 28 घंटे का ‘पावर-पैक्ड’ दौरा भारत के लिए कितना फायदेमंद साबित होगा? व्यापार और रक्षा में क्या नई संभावनाएं खुलेंगी? तेल आयात पर अमेरिकी दबाव का क्या होगा? आइए, इस दौरे के प्रमुख पहलुओं पर नजर डालते हैं…
रूस-यूक्रेन टकराव के कारण पश्चिमी देशों के सख्त प्रतिबंधों ने रूस के व्यापारिक रास्तों को तंग कर दिया है। ऐसे में भारत रूस का सबसे मजबूत व्यापारिक साथी बना हुआ है – तेल से लेकर अन्य सामानों का आयात-निर्यात जारी है। भले ही रूस से डील के चलते भारत को अमेरिका की ओर से 50% तक का एक्स्ट्रा टैरिफ झेलना पड़ रहा हो, लेकिन दोनों देश पीछे नहीं हट रहे।
पुतिन के दौरे के दौरान व्यापार समझौतों पर खास फोकस रहेगा। रूस के प्रेस सचिव दिमित्री पेस्कोव ने साफ कहा है कि कुछ ताकतें भारत-रूस रिश्तों में रुकावटें डालने की कोशिश कर रही हैं, लेकिन दोनों देश अगले पांच सालों में द्विपक्षीय व्यापार को 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने के लिए कमर कस चुके हैं।
पुतिन खुद 5 दिसंबर को भारत-रूस बिजनेस फोरम में शिरकत करेंगे, जहां निवेश और व्यापार वृद्धि पर गहन बातचीत होगी। एक रिपोर्ट के अनुसार, रूस भारतीय उत्पादों के लिए अपने बाजार में ज्यादा जगह बनाना चाहता है, जिससे औद्योगिक सहयोग बढ़ेगा। दोनों देश संयुक्त प्रोजेक्ट्स पर काम करेंगे, हाई-टेक डेवलपमेंट को बढ़ावा मिलेगा और रूस भारत के कुशल श्रमिकों को अपने यहां आमंत्रित करने की योजना बना रहा है।
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