राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने बुधवार को कहा कि संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को त्यागने और राष्ट्रवादी सोच अपनाने के लिए एक मार्गदर्शक दस्तावेज है। उन्होंने ‘संविधान सदन’ (पुराना संसद भवन) के केंद्रीय कक्ष में आयोजित संविधान दिवस समारोह को संबोधित करते हुए यह भी कहा कि भारत दुनिया के लिए विकास का एक नया मॉडल पेश कर रहा है।
उनका कहना था, ‘‘हमारे संविधान निर्माता चाहते थे कि हमारे व्यक्तिगत, लोकतांत्रिक अधिकार हमेशा सुरक्षित रहें। संविधान औपनिवेशिक मानसिकता को छोड़ने और राष्ट्रवादी सोच को अपनाने के लिए मार्गदर्शक दस्तावेज है।’’ उन्होंने कहा, ‘‘25 करोड़ लोगों को गरीबी से बाहर लाना देश की सबसे बड़ी उपलब्धियों में से एक है। महिलाएं, युवा, अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, किसान, मध्यम वर्ग, नया मध्यम वर्ग हमारी लोकतांत्रिक व्यवस्था को मजबूत कर रहे हैं।’’
उनका कहना था कि संविधान दिवस मनाने की परंपरा आरंभ करने की जितनी भी प्रशंसा की जाए, वो कम है। राष्ट्रपति ने नौ भाषाओं -मलयालम, मराठी, नेपाली, पंजाबी, बोडो, कश्मीरी, तेलुगु, उड़िया और असमिया में संविधान के डिजिटल संस्करण का लोकार्पण किया। कार्यक्रम में राष्ट्रपति के नेतृत्व में संविधान की प्रस्तावना का पाठ भी किया गया।
भारत एक है और सदैव एक रहेगा : उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन
उपराष्ट्रपति राधाकृष्णन ने जनप्रतिनिधियों से आग्रह किया कि वे लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं। उन्होंने कहा, ‘‘लोगों के योगदान के बिना कोई भी देश ऐसे ही महान नहीं बन सकता। हमें कर्तव्यबोध के साथ अपनी-अपनी भूमिकाएं निभानी होंगी।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘इस दिन हमारे शानदार संविधान के प्रति सबसे बड़ा सम्मान यह है कि हम इसके मूल्यों के अनुरूप जीवन जीने का संकल्प लें।’’ जन प्रतिनिधियों से आग्रह करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘चाहे संसद हो या राज्य विधानसभाएं या स्थानीय निकाय, यह हमारा प्रमुख कर्तव्य है कि हम लोगों की उचित आकांक्षाओं की पूर्ति के लिए संवाद, बहस और चर्चा को अपनाएं।’’ उपराष्ट्रपति ने कहा, ‘‘हमारे संविधान निर्माताओं की इसी भावना के अनुरूप हमें अब इस अमृत काल में विकसित भारत के लक्ष्य की दिशा में काम करना चाहिए।
उन्होंने कहा, ‘‘वैश्विक स्तर पर बदलते आर्थिक और भू-राजनीतिक परिदृश्य में हम सभी को जीवन के कई क्षेत्रों में सुधारों की आवश्यकता है।’’ उन्होंने कहा कि चुनावी सुधार, न्यायिक सुधार और वित्तीय सुधार बहुत महत्वपूर्ण हैं। राधाकृष्णन ने यह भी कहा कि जीएसटी के रूप में ‘एक राष्ट्र-एक कर’ प्रणाली ने व्यापार करने में आसानी के अलावा लोगों की समृद्धि में भी वृद्धि की है। उन्होंने कहा, ‘‘इसने रातोंरात देश की जटिल बहु-कर प्रणालियों और सभी कमियों को हटाने का मार्ग प्रशस्त किया। इससे यह साबित हुआ कि सरकार को आम आदमी पर पूरा भरोसा है। उपराष्ट्रपति ने यह भी कहा कि संविधान सामाजिक न्याय और कमजोर वर्गों के आर्थिक सशक्तीकरण के प्रति हमारी मजबूत प्रतिबद्धता को दर्शाता है।
राज्यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए
नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।