
ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-5 की तैयारियों के बीच ये नौ कंपनियां करने जा रहीं 10 हजार करोड़ रुपये का निवेश
उत्तर प्रदेश के युवाओं के लिए बड़ी खुशखबरी है। नौ कंपनियां राज्य में 10,000 करोड़ रुपये का निवेश करने जा रही हैं। यूपी औद्योगिक निवेश एवं रोजगार प्रोत्साहन नीति-2022 के अंतर्गत गठित एक हाई लेवल कमेटी मीटिंग में चार कंपनियों को लेटर ऑफ कंफर्ट और एक को फाइनेंशियल प्रोत्साहन देने का एजेंडा रखा गया। इस पर कैबिनेट की मुहर लगते ही यूपी में करीब 8000 नौकरियों की बहार आएगी। ये औद्योगिक इकाईयां मध्यांचल और पश्चिमांचल में लगेंगी।
इन्वेस्ट यूपी-ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-5 (जीबीसी) की तैयारियों के बीच ये एक राहत भरी खबर है। इसी नवंबर माह में जीबीसी प्रस्तावित है। इसमें कम से कम 5 लाख करोड़ रुपये की निवेश परियोजनाओं को जमीन पर उतारने का लक्ष्य रखा गया है। इसके अलावा ग्राउंड ब्रेकिंग सेरेमनी-4 की लंबित इकाईयां भी धरातल पर उतारने की कोशिशें जारी हैं।
दिलचस्प बात ये है कि जीबीसी-4 में रिकॉर्ड 10 लाख करोड़ रुपये का निवेश आया था और 14,701 औद्योगिक इकाईयों का भूमि पूजन हुआ था। इसमें 90 फीसदी से ज्यादा परियोजनाएं धरातल पर आ गई हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के “विकसित उत्तर प्रदेश” विजन को साकार करने में यूपी इन्वेस्ट के अलावा शासन का अथक प्रयास जारी है। सीएम निवेश को जमीन पर उतारने के लिए इन्वेस्ट यूपी के पुनर्गठन की मंजूरी दे चुके हैं। इन्वेस्ट यूपी के सीईओ विजय किरन आनंद ने इसका जिम्मा यूपीसीडा को सौंपा, ताकि परियोजनाओं के लिए भूमि आवंटन से लेकर एनओसी देने की प्रक्रिया एक तय समय-सीमा के अंदर पूरी की जा सके।
फिलहाल अभी यूपी में औद्योगिक विकास प्राधिकरणों के पास करीब 25 हजार एकड़ से ज्यादा ग्रीन फील्ड लैंड और 6300 एकड़ से अधिक रेडी टू मूव (निवेश के लिए तैयारी लायक भूमि) उपलब्ध है। इस बीच 33 हजार से ज्यादा औद्योगिक भूखंडों के सर्वेक्षण का काम पूरा कर लिया गया है।
निवेश को जल्द से जल्द धरातल पर उतारने के लिए जीबीसी-5 में एमओयू पर हस्ताक्षर के तीन सप्ताह के अंदर भूखंड आवंटन और एनओसी जारी करने की योजना पर काम चल रहा है।
इधर, यूपी में जिन नौ बड़ी कंपनियों ने 10 हजार करोड़ रुपये के निवेश का इरादा किया है। वे कंपनियां अकेले अवध, रायबरेली, अयोध्या और सीतापुर लगभग 2000 करोड़ की इकाईयां स्थापित करेंगी। जिससे इन क्षेत्रों के युवाओं को अपने जिलों में ही रोजगार के बेहतर विकल्प मिलेंगे।



