इलाहाबाद हाईकोर्ट ने प्रयागराज में महाकुंभ के बाद विभिन्न घाटों पर फैले कचरे के कुप्रबंधन को लेकर दाखिल जनहित याचिका को निस्तारित करते हुए कहा कि राष्ट्रीय हरित अधिकरण अधिनियम, 2010 की धारा 14 के तहत पर्यावरणीय मामलों की सुनवाई करने का विशेषाधिकार एनजीटी के पास सुरक्षित है और वह इन मामलों का शीघ्र एवं प्रभावी निवारण कर सकता है।
इसके साथ ही कोर्ट ने याची को अपनी शिकायतों के निवारण के लिए अधिकरण से संपर्क करने का सुझाव दिया। उक्त आदेश न्यायमूर्ति जयंत बनर्जी और न्यायमूर्ति मदन पाल सिंह की खंडपीठ ने अंशिका पांडेय व सात अन्य विधि प्रशिक्षुओं द्वारा दाखिल याचिका पर सुनवाई करते हुए पारित किया। याचिका में मानसून के मद्देनजर त्रिवेणी घाट (झूंसी), संगम घाट और बलुआ घाट पर कचरा प्रबंधन को लेकर चिंता जताई गई थी।
याचिका में बताया गया कि घाटों पर पड़ा अनुपचारित कचरा, प्लास्टिक कचरा और ठहरा हुआ पानी जन स्वास्थ्य एवं स्वच्छता के लिए गंभीर खतरा बन सकता है। हालांकि कुंभ मेला प्राधिकरण की ओर से उपस्थित अधिवक्ता द्वारा उठाई गई प्रारंभिक आपत्ति को स्वीकार करते हुए कोर्ट ने याचियों को एनजीटी अधिनियम के तहत उपलब्ध वैधानिक उपचार अपनाने की सलाह देते हुए एनजीटी के पास जाने का सुझाव दिया।
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