राजनाथ सिंह ने फ्रांस की रक्षा मंत्री संग कई मुद्दों पर की चर्चा
चीन भले ही नियमों और समझौतों का उल्लंघन करते हुए अपनी कायराना करतूतें करता रहे। लेकिन भारत उसे मुहंतोड़ जवाब देने के लिए हमेशा तैयार है। भारत ने शुक्रवार को फ्रांस से कहा कि उसके पास अपनी सीमाओं पर चीन के किसी भी दुस्साहस से निपटने के लिए ‘राजनीतिक इच्छाशक्ति और क्षमता’ है। भारत यात्रा पर आईं फ्रांस की रक्षा मंत्री फ्लोरेंस पार्ले ने भी कहा कि बीजिंग पूरे हिंद-प्रशांत क्षेत्र में, खासकर दक्षिण चीन सागर में और अधिक आक्रामक होता जा रहा है।
सूत्रों के अनुसार, फ्रांस के साथ वार्षिक रक्षा वार्ता (एडीडी) में, रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने सभी द्विपक्षीय समझौतों के उल्लंघन में पूर्वी लद्दाख में यथास्थिति को बदलने के चीन के एकतरफा प्रयासों के खिलाफ “जमीन पर उचित प्रतिरोध” के भारत के दृढ़ रुख के बारे में बताया। सिंह ने पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर से गुजरने वाले अरबों डॉलर के चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारे (सीपीईसी), अफगानिस्तान में उथल-पुथल और क्षेत्र से उत्पन्न आतंकवाद के बढ़ते खतरे का मुद्दा भी उठाया।
दोनों देशों के बीच कई मुद्दों पर हुई बात
भारत और फ्रांस ने कई रणनीतिक और रक्षा मुद्दों, द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा औद्योगिक सहयोग, दोनों देशों के बीच भविष्य के सहयोग, सह-उत्पादन पर केंद्रित रक्षा औद्योगिक सहयोग, आतंकवाद का मुकाबला करने पर बारीकी से समन्वय करने, समुद्री सुरक्षा, सूचना-साझाकरण, एयरोस्पेस सहित सभी क्षेत्रों में सहयोग को मजबूत करने के उपायों पर चर्चा की। रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, ‘भारत-फ्रांस रणनीतिक साझेदारी आज पहले से कहीं अधिक प्रासंगिक है। एडीडी में द्विपक्षीय, क्षेत्रीय और रक्षा-औद्योगिक सहयोग जैसे मुद्दों की एक विस्तृत श्रृंखला पर चर्चा की गई।
‘चीन के साथ सहयोग की जरूरत’
इससे पहले एक कार्यक्रम में बोलते हुए पार्ले ने कहा कि चीन जैसे बड़े देश के साथ जलवायु परिवर्तन से लड़ने सहित कई क्षेत्रों में सहयोग की आवश्यकता है। उन्होंने कहा, ‘चीन व्यापार और वाणिज्य क्षेत्र में पार्टनर है। लेकिन हम यह भी देखते हैं कि चीन इस क्षेत्र में अधिक से अधिक आक्रामक हो रहा है। और यह (दक्षिण) चीन सागर में खासतौर पर हो रहा है। फ्रांसीसी मंत्री ने पीएम नरेंद्र मोदी और एनएसए अजीत डोभाल से भी मुलाकात की है। उन्होंने हिंद-प्रशांद को सभी के लिए नेविगेशन और व्यापार की स्वतंत्रता के साथ एक खुला, स्वतंत्र और समावेशी क्षेत्र बनाने पर भी जोर दिया।



