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एक-एक कर कांग्रेस से छिटक रहे क्षत्रप, 2014 से जारी है सिलसिला

भाजपा और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को चुनौती देने के बीच कांग्रेस को अपना घर संभालना मुश्किल हो रहा है। एक-एक करके उसके नेता या तो सत्तारूढ़ पार्टी में शामिल हो रहे या फिर उदासीन होकर घर बैठ गए हैं। इसी कड़ी में बुधवार को जितिन प्रसाद ने भी भाजपा का दामन थाम लिया। इससे पहले उनके मित्र और पूर्व सहयोगी ज्योतिरादित्य सिंधिया ने पिछले वर्ष मार्च में भाजपा में शामिल होने के लिए पार्टी छोड़ दी थी। खास बात यह है कि दोनों पूर्ववर्ती नेता यूपीए सरकार में मंत्री रहने के साथ ही कांग्रेस के पूर्व अध्यक्ष राहुल गांधी के नजदीकी भी रहे हैं। माना जा रहा है कि आगे भी कई नेता पार्टी छोड़ सकते हैं।

दरअसल, कांग्रेस से नेताओं के जाने का सिलसिला वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव से पहले शुरू हुआ था। उस समय हरियाणा के दिग्गज वीरेंद्र सिंह और राव इंद्रजीत सिंह भाजपा में शामिल हो गए थे। दोनों प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की पहली कैबिनेट में मंत्री भी बने। वर्ष 2014 के लोकसभा चुनाव के एक वर्ष बाद असम कांग्रेस के दिग्गज हिमंता बिस्व सरमा भाजपा में शामिल हो गए।

वर्ष 2016 में असम में भाजपा की सरकार आने पर वह कैबिनेट मंत्री बने। हाल में हुए विधानसभा चुनावों के बाद प्रदेश में जब भाजपा की दोबारा सरकार बनी तो सरमा पर मोदी और शाह ने विश्वास जताते हुए उन्हें मुख्यमंत्री का पद सौंप दिया। वर्ष 2019 में असम में कांग्रेस को एक और झटका लगा। उस समय राज्यसभा में उसके मुख्य सचेतक भुवनेश्वर कलिता ने अचानक इस्तीफा दे दिया और भाजपा में शामिल हो गए। वह अब असम से भाजपा के राज्यसभा सदस्य हैं।

कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वालों में यूपीए शासन में विदेश मंत्री रहे एसएम कृष्णा भी हैं। इतना ही नहीं महाराष्ट्र के पूर्व मुख्यमंत्री नारायण राणे और विधानसभा में तत्कालीन विपक्ष के नेता राधाकृष्ण विखे पाटिल ने भी 2019 में भाजपा में शामिल होने के लिए इस्तीफा दे दिया था। हाल के दिनों में कांग्रेस छोड़कर भाजपा में शामिल होने वाले प्रमुख चेहरों में तमिल अभिनेत्री खुशबू सुंदर और कांग्रेस के पूर्व प्रवक्ता टाम वड्डक्कन शामिल हैं।

पूर्वोत्तर में भी कमजोर हुई कांग्रेस
पूर्वोत्तर में कांग्रेस को उस समय झटका लगा जब मणिपुर में उसके पूर्व मुख्यमंत्री एन बीरेन सिंह 2016 में तत्कालीन मुख्यमंत्री इबोबी सिंह के साथ मतभेदों का हवाला देते हुए भाजपा में शामिल हो गए। अरुणाचल प्रदेश में वर्तमान मुख्यमंत्री पेमा खांडू ने भी विधानसभा चुनाव से पहले 2016 में कांग्रेस छोड़ दी थी।
उत्तराखंड में तो कांग्रेस के ढाई वर्ष तक मुख्यमंत्री रहे विजय बहुगुणा, विधानसभा के पूर्व अध्यक्ष यशपाल आर्य और पूर्व मंत्री सतपाल महाराज ने भी भाजपा में शामिल होने के लिए कांग्रेस छोड़ दी थी। उत्तर प्रदेश में भी 2017 के विधानसभा चुनावों से पहले प्रदेश कांग्रेस की पूर्व प्रमुख रीता बहुगुणा जोशी ने पार्टी छोड़ दी थी। फिलहाल वह प्रयागराज से भाजपा सांसद हैं।

 

 

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