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अंतरराष्ट्रीय महिला दिवस-कैसे बनाई विदेश में पहचान

रुड़की:-कहते हैं अगर कुछ कर गुजरने की हिम्मत हो तो कुछ भी नामुमकिन नहीं होता। कुछ ऐसा ही कर दिखाया है रुड़की की एकता शर्मा ने, जिन्होंने महिला सशक्तिकरण की मिसाल पेश करते हुए अपने शौक के जरिये देश में ही नही बल्कि विदेश में भी अपनी प्रतिभा का लोहा मनवाया है।

दरअसल, एकता शर्मा बचपन से ही लिखने का शौक रखती हैं और कविताओं के जरिये समाज को एक नई दिशा दिखाने का प्रयास करती हैं। एकता की कविताओं को देश में ही नहीं बल्कि विदेश में भी पसंद किया जाता है। हाल ही में अमेरिका से प्रकाशित सेतु नामक मासिक पत्रिका में एकता की कविता को स्थान दिया गया है। लेकिन विडम्बना ये है कि जिन कविताओं को विदेश में पहचान मिल रही है उसके लिए उत्तराखंड में कोई प्लेटफॉर्म नहीं है।

एकता शर्मा मूलरूप से शिक्षानगरी रुड़की की निवासी हैं। रुड़की के समीप ही ढंडेरा स्थित मिलापनगर में एकता की ससुराल है। करीब 8 वर्ष पूर्व एकता का विवाह मिलापनगर निवासी मनोज से हुआ था। विवाह के बाद भी एकता का जुनून कम नहीं हुआ। एकता ने अपने मन की बात और देश के विभिन्न हालातों को कविताओं के जरिये लोगो तक पहुंचाने का काम किया। खासकर महिलाओं के मुद्दे पर एकता बेबाकी के साथ शब्दों की कविता बनाकर पेश करती आई हैं। जिन कविताओं को क्रांतिकारी कविताएं भी कहा जाए तो कोई अतिशयोक्ति नहीं होगी।

एकता शर्मा बताती हैं कि साहित्य के क्षेत्र में खूब नाम कमाया जा सकता है। लेकिन सरकार को इस क्षेत्र में काम करने की आवश्यकता है। उन्होंने बताया कि सरकार यदि साहित्य के क्षेत्र में कार्यक्रम आयोजित करे तो यकीनन बहुत सी प्रतिभाएं निखारी जा सकती हैं। एकता ने बताया कि नोएडा, बम्बई,हरियाणा,मेरठ समेत विभिन्न प्रतिष्ठित समाचारपत्रों ने उनकी कविताओं को अक्सर स्थान दिया है।

करीब तीन महिने पहले पूर्व अमेरिका से प्रकाशित सेतु नामक पत्रिका में उनकी कविता छपी थी जिसके बाद उसे खूब पसंद किया गया। वहीं, करीब 3 दिन पहले भी उनकी दूसरी कविता को अमेरिका की पत्रिका में स्थान दिया गया है। एकता का कहना है कि वह इस कामयाबी से खुश जरूर हैं, लेकिन संतुष्ट नहीं। क्योंकि जो पहचान उन्हें उत्तराखंड में मिलनी चाहिए थी वो उन्हें अभी भी नहीं मिल पाई है।

एकता शर्मा ने बताया कि यदि सरकार साहित्य के क्षेत्र में ऐसी पत्रिकाएं प्रकाशित करे जिसमें ग्रहणी अपनी रचनाओं को दे सकें और अपना नाम कमा सकें तो ये महिलाओं के लिए बेहतर प्लेटफॉर्म साबित हो सकता है। उन्होंने बताया कि महिला दिवस के उपलक्ष्य में विभिन्न जगहों पर कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं।

महिलाओं के सम्मान और अधिकार की बड़ी-बड़ी बातें होती हैं। लेकिन धरातल पर कुछ नजर नहीं आता। एकता ने कहा कि यदि वाकई सरकार महिलाओं का सम्मान और उनके अधिकारों के प्रति सजक है तो पूरे साल होने वाले महिला उत्पीड़न पर ठोस नीति बनाई जानी चाहिए। साथ ही महिलाओं के उत्थान के लिए कार्यक्रम आयोजित किया जाना चाहिए ताकि महिलाओं के भीतर छिपी प्रतिभा सबके सामने आ सके।

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