
गलवान में गतिरोध खत्म करने के लिए फिर बातचीत की टेबल पर भारत और चीन
पूर्वी लद्दाख स्थित गलवान में जारी सैन्य गतिरोध को खत्म करने के लिए भारत और चीन एक बार फिर बातचीत की टेबल पर आमने- सामने आए है। इसी कड़ी में बुधवार से दोनों देशों के बीच 14वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता शुरू हुई है। दोनों देशों के कोर कमांडर स्तर की यह वार्ता करीब तीन महीने के अंतराल के बाद शुरू हुई है।
इससे पहले 10 अक्टूबर 2021 को दोनों देशों के कमांडर 13वें दौर की वार्ता के लिए बैठे थे। 14वें दौर की सैन्य स्तर की वार्ता शुरू होने की जानकारी सुरक्षा प्रतिष्ठान से जुड़े सूत्रों ने दी है।
सूत्रों के मुताबिक 14वें दौर की कोर कमांडर स्तर की वार्ता गलवान स्थित वास्तविक नियंत्रण रेखा पर चीन की ओर चुशुल-मोल्दो बैठक स्थल पर हो रही है। जिसके लिए सुबह साढ़े नौ बजे का कार्यक्रम निर्धारित किया गया था।
20 महीने से जारी है गतिरोध, सैनिकों के पीछे हटने पर वार्ता केंद्रित
गलवान में भारत और चीन के बीच बीते 20 महीनों से गतिरोध जारी है। भारत और चीन की सेनाओं के बीच पैंगोंग झील इलाके में हिंसक झड़प के बाद पांच मई 2020 को पूर्वी लद्दाख की सीमा पर गतिरोध पैदा हो गया था।
इसके बाद से दोनों ओर से इस क्षेत्र में भारी संख्या में सैनिकों एवं हथियारों की तैनाती की गई। सैन्य एवं राजनयिक स्तर पर कई दौर की वार्ता के बाद दोनों पक्ष पिछले पर्ष पैंगोंग झील के उत्तरी एवं दक्षिणी किनारों एवं गोगरा क्षेत्र से पीछे हटने की प्रक्रिया को पूरा किया था।
वहीं सेना से जुड़े सूत्रों के मुताबिक बुधवार से शुरू हुई बातचीत मुख्य रूप से ‘हॉट स्प्रिंग्स’ इलाके में सैनिकों को पीछे हटाने पर केंद्रित होने की उम्मीद है। जिसके तहत ऐसी उम्मीद है कि भारतीय पक्ष ‘देपसांग बल्ज’ और डेमचोक में मुद्दों को हल करने समेत बाकी के टकराव वाले सभी स्थानों पर जल्द से जल्द सेना को हटाने पर जोर देगा।
सेना से जुड़े सूत्रों ने बताया कि वार्ता में भारतीय शिष्टमंडल का नेतृत्व लेफ्टिनेंट जनरल अनिंद्या सेनगुप्ता कर रहे हैं। जिन्हें लेह स्थित 14वें कोर का नया कमांडर नियुक्त किया गया है। वहीं चीनी पक्ष का नेतृत्व दक्षिण जिंजियांग सैन्य जिले के चीफ मेजर जनरल यांग लिन को करना था।
चीन की तरफ से पैंगोंग झील के पास निर्माण के बीच वार्ता
दोनों देशों के बीच नये दौर की यह वार्ता ऐसे समय में हो रही है। जब पूर्वी लद्दाख स्थित पैंगोंग झील इलाकों में चीन की ओर से पुल बनाया जा रहा है। तो वहीं भारत इसकी निगरानी करने की बात कर चुका है।
हालांकि भारत ने कहा था कि यह इलाका पिछले 60 वर्षो से चीन के अवैध कब्जे में है। वहीं पिछले सप्ताह चीन ने अरूणाचल प्रदेश के कुछ इलाकों का अपनी ओर से नामकरण किया था। लेकिन भारत ने इन दावों को सिरे से खारिज कर दिया था।