फ्लैश न्यूज

गलवान झड़प में टिप्पणी करने वाले चीनी नागरिक की गिरफ्तारी

बीजिंग – चीन ने सोमवार को कहा किवह उस मामले की जांच कर रहा है। जिसमें अमेरिका जा रहे 19 वर्षीय एक चीनी छात्र को दुबई में गिरफ्तार किया गया और बाद में उसे छोड़ दिया गया। पिछले साल गलवान घाटी में भारतीय और चीनी सैनिकों के बीच हुई झड़प के बाद आधिकारिक मीडिया में आई खबरों को लेकर सवाल उठाने वाला यह लड़का पूछताछ के बाद यहां से भाग गया था। दुबई से प्राप्त मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक। अमेरिका के स्थायी निवासी वांग जिंगयू को तुर्की के इस्तांबुल जाते वक्त संयुक्त अरब अमीरात के अधिकारियों द्वारा अप्रैल में गिरफ्तार किया गया था।

रेडियो फ्री एशिया (आरएफए) ने 27 मई को खबर दी कि चीन से निकले लड़के को पारगमन के दौरान दुबई पुलिस द्वारा हिरासत में लिया गया था। जिसके बाद 20 मई को उसने अंतरराष्ट्रीय समुदाय को मदद के लिये संदेश भेजा था। कार्यकर्ताओं और उसके समर्थकों ने कहा कि सादी वर्दी में पुलिस अधिकारियों ने वांग को तब गिरफ्तार किया जब वह न्यूयॉर्क की संपर्क उड़ान पकड़ने की कोशिश के तहत अमीरात की एक उड़ान से अप्रैल में दुबई अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे पर उतरा था। खबर में कहा गया कि विदेश विभाग ने उसकी गिरफ्तारी की पुष्टि करते हुए इस मामले को “मानवाधिकार” चिंता का मामला बताया और चेतावनी दी कि उसे चीन में प्रत्यर्पण का सामना करना पड़ सकता है।
चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता वांग वेनबिन से जब दुबई में वांग जिंग्यू की गिरफ्तारी और रिहाई पर टिप्पणी के लिये कहा गया तो, उन्होंने कहा “मैंने प्रासंगिक रिपोर्ट पर संज्ञान लिया है। उन्होंने सोमवार को यहां मीडिया से कहा। “जब हम बोल रहे हैं, सक्षम चीनी प्राधिकारी इस मामले की जांच कानून के मुताबिक कर रहे हैं। उन्होंने कहा कि इस घटना को लेकर किसी तरह की कयासबाजी नहीं होनी चाहिए। संयुक्त अरब अमीरात में आरएफए की मंदारिन सेवा से बात करते हुए वांग जिंग्यू ने कहा कि दुबई में विमान से उतरने के कुछ समय बाद ही उसे हिरासत में ले लिया गया। उसने कहा, “मैं पारगमन सुरक्षा जांच क्षेत्र की तरफ बढ़ने ही वाला था। तभी अचानक मुझे बिना किसी कारण के गेट पर रोका गया। जिंग्यू ने आरएफए को बताया, मुझ पर लगे आरोपों को हवा दी गई। उसने कहा कि उसे हिरासत में लिये जाने के पीछे चीनी सरकार हो सकती है और आपराधिक मामले के बहाने उसे चीन लौटने को मजबूर किया जा सकता है।

भारतीय सेना ने चीनी सैनिकों के साथ पिछले साल 15 जून को हुई झड़प में 20 कर्मियों की शहादत की घोषणा की थी जबकि चीन की जन मुक्ति सेना ने करीब आठ महीने बाद खुलासा किया था कि उसके चार सैन्य कर्मी मारे गए थे जबकि एक अधिकारी घायल हुआ था। मानवाधिकार कार्यकर्ताओं को उद्धृत करते हुए असोसिएटेड प्रेस ने कहा कि वांग ने तब सार्वजनिक रूप से सोशल मीडिया पर सवाल किया था कि चीन सरकार ने चीनी सैनिकों की मौत के बारे में जानकारी देने के लिये छह महीने तक इंतजार क्यों किया। इसके बाद उसे प्रताड़ित करने का अभियान चलने लगा। जिसकी वजह से वह इस्तांबुल रवाना हो गया।

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