महापुरुषों का व्यक्तित्व शाश्वत सत्य पर आधारित होता
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने आज गीता वाटिका, गोरखपुर में भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार की 132वीं जयन्ती पर उनकी समाधि पर श्रद्धासुमन अर्पित किए। इस अवसर पर मुख्यमंत्री जी ने गीता वाटिका सभागार में युगदृष्टा महामानव भाई जी श्री हनुमान प्रसाद पोद्दार : जीवन एवं अवदान विषयक संगोष्ठी में लोगां को सम्बोधित करते हुए कहा कि भाई जी ने अपने 70 वर्ष के लम्बे कालखण्ड में भारत के धार्मिक जगत के लिए ऐसा कोई कार्य नहीं था, जो नहीं किया। ऐसा कोई अभियान या आन्दोलन नहीं था, जिसमें भाई जी की प्रत्यक्ष या परोक्ष रूप से भागीदारी न रही हो।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि भाई जी हनुमान प्रसाद पोद्दार ने गोरखपुर को अपनी साहित्य साधना का केन्द्र बनाया था। गीता प्रेस के माध्यम से उन्होंने सनातन धर्म से सम्बन्धित सभी वैदिक साहित्य का प्रकाशन एवं उसका प्रचार-प्रसार कर, प्रत्येक घर में पहुंचाने का कार्य किया। वर्ष 1927 में कल्याण पत्रिका का प्रकाशन गोरखपुर से शुरू किया गया था। कल्याण पत्रिका केवल आध्यात्मिक एवं धार्मिक ग्रन्थ ही नहीं, बल्कि पारिवारिक जीवन का पवित्र ग्रन्थ भी बन गया। गत शताब्दी में ऐसा कोई भी सनातन धर्मावलम्बी नहीं था, जिसके घर में कल्याण पत्रिका नहीं पढ़ी जाती थी। इसका श्रेय भाई जी की साहित्य साधना को जाता है। साधना का एक पक्ष यह है कि जिस भाव में साधना की जाती है, उसके परिणाम भी उसी प्रकार प्राप्त होते हैं। लोक कल्याण एवं राष्ट्र कल्याण का भाव भाई जी के अंदर भरा हुआ दिखाई देता है।
मुख्यमंत्री जी ने कहा कि राष्ट्रीय स्वतंत्रता संग्राम आन्दोलन में भी भाई जी ने बढ़चढ़ कर भाग लिया था। ब्रिटिश सरकार ने उन्हें अनेक यातनाएं दी थीं। उनके मार्ग में अनेक बाधाएं भी आयीं। उनकी कल्याण पत्रिका को भी जब्त कर लिया गया था।