सैनिकों की कमी से जूझ रहे रूस को जल्द शांति समझौते की दरकार
लंदन। रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन शायद यह सोच रहे होंगे कि डोनाल्ड ट्रंप अमेरिकी राष्ट्रपति का चुनाव जीतकर सत्ता पर थोड़ा पहले आसीन होते तो उनके लिए बेहतर होता। ऐसा होने पर पुतिन संभवत: एक समझौते को स्वीकार कर लेते, जिसके तहत रूस को यूक्रेन का (लगभग अमेरिकी राज्य वर्जीनिया के आकार का) वह महत्वपूर्ण क्षेत्र हासिल हो जाता, जहां रूसी बलों ने बढ़त हासिल की थी, जबकि यूक्रेन तटस्थ रहकर उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) या यूरोपीय संघ में शामिल होने की किसी भी योजना को फिलहाल के लिए त्याग देता।
इस समय यूक्रेन और रूस दोनों युद्ध से थक चुके हैं। रूसी सेना यूक्रेन के दोनेत्स्क क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ी है, लेकिन रूस युद्ध के लिए सैनिकों की भर्ती को लेकर संघर्ष कर रहा है। हाल में हुए एक खुलासे से इस बात को बल मिला है कि उत्तर कोरिया के सैनिक रूस की तरफ से युद्ध लड़ रहे हैं। रूस ने युद्ध तेज कर दिया है।
यूक्रेन से खबरें मिल रही हैं कि रूस ने युद्ध में पहली बार अंतरमहाद्वीपीय बैलिस्टिक मिसाइल का इस्तेमाल किया है। ऐसे में यह स्पष्ट होता जा रहा है कि इस समय शांति समझौता करना रूस और यूक्रेन दोनों के हित में होगा। पश्चिमी देशों के आकलन के अनुसार, युद्ध में रूस के लगभग 1,15,000 से 1,60,000 सैनिक मारे गए हैं।
इनमें से 90 प्रतिशत सैनिक युद्ध की शुरुआत में मारे गए थे, जबकि 5,00,000 अन्य सैनिक घायल हुए हैं। इन नुकसानों की भरपाई के लिए रूस हर महीने 20,000 नए सैनिकों की भर्ती कर रहा है। रूस में शांतिकाल के दौरान भी सैनिकों की भर्ती आसान नहीं रही है। नए सैनिकों को अक्सर पुराने सैनिकों की ओर से उत्पीड़न का शिकार होना पड़ता है। इसलिए कई रूसी युवा सेना में भर्ती होने से कतराते हैं।