भारत की ऋषि परम्परा ने सदैव समतामूलक समाज को महत्व दिया
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने हिन्दी दिवस की बधाई देते हुए कहा कि हिन्दी देश को जोड़ने वाली एक व्यावहारिक भाषा है। देश की बहुसंख्यक आबादी राजभाषा हिन्दी को जानती, पहचानती और समझती है। हिन्दी का मूल देववाणी संस्कृत से है।
दुनिया की जितनी भी भाषाएं और बोलियां हैं, उनके स्रोत देववाणी संस्कृत से जुड़ते है। विगत 10 वर्षों में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी के नेतृत्व में केन्द्र सरकार ने देश को जोड़ने के लिए एक व्यावहारिक भाषा के रूप में हिन्दी को देश और दुनिया के सामने प्रस्तुत किया है। यह अत्यन्त अभिनंदनीय कार्य है।
मुख्यमंत्री आज दीन दयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय, गोरखपुर में ‘समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान’ विषय पर आयोजित 02 दिवसीय अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन के अवसर पर अपने विचार व्यक्त कर रहे थे।
उन्होंने डाॅ0 पद्मजा सिंह की पुस्तक ‘नाथपंथ का इतिहास’, श्री अरुण कुमार त्रिपाठी की पुस्तक ‘नाथपंथ की प्रवेशिका’ तथा गोरक्षनाथ शोध पीठ की अर्द्धवार्षिक पत्रिका ‘कुण्डलिनी’ का विमोचन किया। मुख्यमंत्री जी ने विश्वविद्यालय परिसर में दिव्यांगजन द्वारा संचालित कैण्टीन का शुभारम्भ किया।
उन्होंने सभी को हिन्दी दिवस की बधाई दी। उन्होंने महायोगी गुरु गोरखनाथ शोधपीठ, दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और भाषा विभाग के अन्तर्गत हिन्दुस्तानी एकेडमी, प्रयागराज को अन्तरराष्ट्रीय संगोष्ठी के आयोजन के लिए बधाई दी।
मुख्यमंत्री ने कहा कि आज की यह संगोष्ठी अत्यंत महत्वपूर्ण है। भारतेन्दु हरिश्चन्द्र ने निज भाषा के विषय में कहा था कि ‘निज भाषा उन्नति अहै, सब उन्नति को मूल।’ अगर हमारे भाव और हमारी भाषा स्वयं की नहीं है, तो हमारी प्रगति हर स्तर पर बाधित होगी।
इस बाधा को हटाने के लिए देश में आजादी के आन्दोलन से लेकर उसके बाद हिन्दी की उन्नति के लिए विभिन्न कार्य किये गये। इस दिशा में नए प्रयास किए जाने की आवश्यकता है।