मैं अपनी तकनीक में अधिक परिपक्व हूं, पैरालंपिक सिर्फ एक और प्रतियोगिता : अवनी लेखरा
महज 11 साल की उम्र में कार दुर्घटना के कारण कमर के नीचे का अंग लकवाग्रस्त होने के बाद व्हीलचेयर की मदद से चलने वाली पैरालंपिक स्वर्ण पदक विजेता अवनी लेखरा अपने माता-पिता की शुक्रगुजार हैं जिनकी सलाह पर उन्होंने निशानेबाजी में हाथ आजमाना शुरू किया।
अवनी तीन साल पहले टोक्यो पैरालंपिक में एसएच1 श्रेणी में स्वर्ण पदक जीतने के बाद देश की सबसे अधिक सुर्खियां बटोरने वाली पैरा खिलाड़ी बनी थी। उन्होंने तोक्यो पैरालंपिक में 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण और 50 मीटर राइफल थ्री पोजिशन में कांस्य पदक जीता था।
पैरालंपिक निशानेबाजी स्पर्धा में देश की पहली स्वर्ण पदक विजेता 22 साल की यह निशानेबाज अब पेरिस खेलों में अपने कारनामों को दोहराने के लिए तैयार है। उन्होंने कार दुर्घटना की भीषण आघात से उबरने में मदद के लिए अपने परिवार का शुक्रिया किया। अवनी अपने परिवार के कहने पर खेलों से जुड़ी और निशानेबाजी ने उन्हें दुर्घटना से मिले
आघात से उबरने में मदद किया। अवनी ने तीरंदाजी में अपना हाथ आजमाने के बाद 2015 में गर्मियों की छुट्टियों के दौरान जयपुर के केंद्रीय विद्यालय नंबर तीन में निशानेबाजी का अभ्यास शुरू किया और फिर पीछे मुड़कर नहीं देखा।
अवनी ने को दिये साक्षात्कार में कहा, ‘‘दुर्घटना से पहले मैं किसी भी खेल में नहीं थी और उसके बाद भी मैं किसी भी खेल से जुड़ने के बारे में बिल्कुल नहीं सोच रही थी। लेकिन मेरे माता-पिता हमेशा सोचते थे कि मुझे पढ़ाई के अलावा कुछ और भी करना चाहिए।
दुर्घटना के दो साल बाद मैं अपने स्कूल केन्द्रीय विद्यालय नंबर तीन वापस गयी थी। उन्होंने कहा, ‘‘उनके पास क्षेत्रीय खेल और राष्ट्रीय खेल का विकल्प था।