निष्पक्ष चुनाव होते तो मुझे नहीं लगता बीजेपी 240 के आसपास भी पहुंचती, अमेरिका में राहुल गांधी का बड़ा बयान
वाशिंगटन। कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि इस बार भारत में आम चुनाव लड़ने के लिए सभी को समान अवसर उपलब्ध नहीं थे और चुनावों ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के विचार को ध्वस्त कर दिया। लोकसभा में विपक्ष के नेता राहुल अभी अमेरिका की चार दिवसीय यात्रा पर हैं।
उन्होंने सोमवार को प्रतिष्ठित जॉर्जटाउन यूनिवर्सिटी में ये टिप्पणियां कीं। राहुल ने एक कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कहा कि सत्तारूढ़ गठबंधन ध्वस्त हो गया। उन्होंने कहा, ‘‘यह महज प्रधानमंत्री के बारे में नहीं है, यह उससे कहीं अधिक गहरा है। भारत में क्या हुआ है कि (नरेंद्र) मोदी को सत्ता में लाने वाला गठबंधन ही ध्वस्त हो गया। यह बिल्कुल बीच से टूट गया।
उन्होंने कहा, ‘‘इसलिए आप देखेंगे कि इन चुनावों में वे संघर्ष करेंगे। क्योंकि यह मूल विचार कि मोदी भारत के लोगों के लिए सरकार चला रहे हैं, यह खत्म हो गया है। राहुल ने आरोप लगाया कि लोकसभा चुनाव के लिए सभी को समान अवसर उपलब्ध नहीं कराए गए। उन्होंने कहा, ‘‘मैं इसे स्वतंत्र चुनाव नहीं मानता हूं। मैं इसे काफी हद तक नियंत्रित चुनाव मानता हूं।
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे नहीं लगता कि अगर निष्पक्ष चुनाव होता तो भाजपा 240 सीटों के आसपास भी कहीं आती।’’ उन्होंने कहा कि पार्टी के पास ‘‘भारी वित्तीय बढ़त’’ थी। कांग्रेस नेता ने दावा किया, ‘‘निर्वाचन आयोग वही कर रहा था जो वे चाहते थे। पूरा प्रचार अभियान ऐसे बनाया गया कि मोदी जी देशभर में अपना एजेंडा चला सकें।
उन्होंने कहा, ‘‘कांग्रेस पार्टी ने अपने बैंक खाते सील होने के बीच चुनाव लड़ा और मूल रूप से मोदी का विचार ध्वस्त कर दिया। आप यह देख सकते हैं क्योंकि अब जब आप प्रधानमंत्री को संसद में देखते हैं…वह मनोवैज्ञानिक रूप से उलझ गए हैं और वह समझ नहीं पा रहे हैं कि यह कैसे हो गया।
एक सवाल पर राहुल ने कहा कि आधे प्रचार के बाद भी प्रधानमंत्री मोदी ने यह नहीं सोचा था कि उन्हें 300 या 400 के आसपास सीटें मिलेंगी। उन्होंने कहा, ‘‘मुझे लगता है कि उन्हें जल्द ही समझ आ गया था कि यह चीज गलत दिशा में जा रही है। हमें पुष्ट सूत्रों से प्रतिक्रियाएं मिल रही थीं…यह साफ था कि वे मुसीबत में हैं।
राहुल ने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री के अंदर यह चल रहा था जिसे मैं देख सकता था। और मनोवैज्ञानिक रूप से, यह अब कैसे हो रहा है? क्योंकि वह ऐसे व्यक्ति हैं,
जैसा कि आप जानते हैं कि वह कई वर्षों तक गुजरात में थे और उन्होंने कभी राजनीतिक रूप से प्रतिकूल किसी स्थिति का सामना नहीं किया, फिर भारत के प्रधानमंत्री बन गए। अचानक से यह विचार टूटना शुरू हो गया।’