अब दिल के मरीजों को संजय गांधी स्नातकोत्तर आयुर्विज्ञान संस्थान (एसजीपीजीआई) में अत्याधुनिक इलाज मिलेगा। कार्डियोलॉजी विभाग में आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (एआई) से लैस इंट्रावैस्कुलर ऑप्टिकल कोहेरेंस टोमोग्राफी (ओसीटी) मशीन स्थापित हुई है। इस तकनीक के माध्यम से हार्ट ब्लॉकेज की सटीक जानकारी हो जाती है। विशेषज्ञों का दावा है कि ऐसे में हार्ट के ब्लॉकेज को दूर करने के लिए की जाने वाली एंजियोप्लास्टी और बेहतर हो पायेगी।
कार्डियोलॉजी विभाग के प्रमुख प्रो. आदित्य कपूर ने बताया कि पहले भी इस तकनीक का प्रयोग होता था, लेकिन तब मैनुअल किया जाता था। अब एआई तकनीक का इस्तेमाल किया जा रहा है, ऐसे में ओसीटी उच्च रिजॉल्यूशन वाली छवियां उत्पन्न करती है। यही नहीं यह मशीन थ्री-डी तस्वीरों के साथ-साथ एंजियोग्राफी और ओसीटी डिस्प्ले जैसे फीचर्स एक साथ देती है।
इस तकनीक का इस्तेमाल करने पर जैसे ही एक पतली लंबी ट्यूब (कैथेटर) धमनी में डाला जाता है तो वह डालते ही ब्लॉकेज, कैल्सीफिकेशन (चिकनाई जमना), रक्त वाहिका का आकार और स्टेंट की स्थिति की सटीक जानकारी मिल जाती है। ऐसे में इलाज की गुणवत्ता बढ़ जाती है, साथ ही मरीजों को जल्दी लाभ मिलता है।
10 मरीजों की सफल एंजियोप्लास्टी
कार्डियोलॉजी के प्रमुख प्रो. आदित्य कपूर, प्रो. सत्येन्द्र तिवारी, प्रो. रूपाली खन्ना, प्रो. नवीन गर्ग और डॉ. अंकित साहू ने इस अत्याधुनिक तकनीक की सफलता पर प्रसन्नता जाहिर करते हुए बताया कि संस्थान में नई प्रणाली से 10 मरीजों की एंजियोप्लास्टी सफलतापूर्वक की जा चुकी है।
विशेषज्ञों ने बताया कि इस तकनीक के इस्तेमाल से डॉक्टर दिल की रक्त वाहिकाओं की अंदरूनी स्थिति को बेहद साफ और गहराई से देख सकते हैं। साथ ही एंजियोप्लास्टी में अब स्टेंट का चुनाव भी पहले से ज्यादा सटीक होगा, जिससे मरीजों को काफी ज्यादा लाभ मिलेगा और सफलता दर भी बढ़ेगी। संस्थान के निदेशक प्रो. आरके धीमन ने कार्डियोलॉजी विभाग की टीम को बधाई दी और इसे मरीजों की बेहतर देखभाल की दिशा में उठाई गई एक अच्छी पहल बताया।
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