लखनऊ। आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में भक्तों को वितरित किये गये ‘प्रसादम्’ में कथित तौर पर जानवरों की चर्बी मिलाये जाने को लेकर उठे विवाद के बीच लखनऊ के प्रसिद्ध मनकामेश्वर मंदिर में श्रद्धालुओं द्वारा बाहर से लाकर प्रसाद चढ़ाने पर रोक लगा दी गई है।
मंदिर प्रशासन ने भक्तों से आग्रह किया है कि वे घर के बने हुए प्रसाद या सूखे मेवे का ही भोग लगायें। मंदिर की महंत देव्या गिरि ने तिरुपति मंदिर में मिलावटी प्रसाद वितरित किये जाने को अक्षम्य अपराध बताते हुए मामले के दोषी लोगों को फांसी देने की मांग की है।
गिरि ने सोमवार को कहा, ”आंध्र प्रदेश के तिरुपति मंदिर में जो मिलावटी प्रसाद का मामला आया है, उस पर हम लोगों ने भक्तों से आग्रह किया है कि वे अपने आराध्य को जो प्रसाद चढ़ाएं उसमें मांसाहार का कोई तत्व नहीं होना चाहिए।
इसके लिए हमने भक्तों से आग्रह किया है कि वे घर के बने घी से ही निर्मित प्रसाद लेकर आएं। या फिर वे सूखे मेवे का पकवान बनाकर अन्यथा फलों का भोग लगायें।
उन्होंने कहा, ”इस नयी व्यवस्था से कुछ कठिनाई जरूर हो रही है, मगर हिंदू धर्म में शाकाहार कैसे सुनिश्चित हो सके, यह सभी लोगों की जिम्मेदारी है। इस चीज के आगे हर बात नगण्य हो जाती है कि आप हिंदू धर्म में शाकाहार को कैसे बचा सकते हैं।
हमने यह कभी नहीं सोचा था कि मंदिर में प्रसाद के तौर पर मांसाहार भी परोसा जाएगा। यह बहुत बड़ी घटना है। सनातन आस्था पर इससे बड़ा आघात कोई और हो ही नहीं सकता इसलिए हिंदू धर्म के सभी मठ मंदिरों के व्यवस्थापकों को मिलकर यह प्रयास करना होगा कि कैसे हम शाकाहारी प्रसाद दें।
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