
Netanyahu के समझौते की पेशकश ठुकराने के बाद इज़राइल में विरोध-प्रदर्शन तेज
तेल अवीव – इज़राइल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू द्वारा न्यायिक प्रणाली में बदलाव की उनकी योजनाओं को लेकर जारी गतिरोध को हल करने के मकसद से दिए गए एक समझौता प्रस्ताव को ठुकराने के बाद देश के कई शहरों में बृहस्पतिवार को विरोध-प्रदर्शन और तेज हो गए। यरूशलम में प्रदर्शनकारियों ने उच्चतम न्यायालय की तरफ जाने वाली सड़कों पर, विरोध स्वरूप लाल लकीरें खींचीं।
वहीं, हाइफा में समुद्री तट पर नावों के एक काफिले को जहाज मार्ग को अवरुद्ध करते देखा गया। कई अन्य शहरों में प्रदर्शनकारियों द्वारा सड़कें जाम किए जाने की भी खबरें हैं। पिछले हफ्ते, प्रदर्शनकारियों ने देश के प्रमुख अंतरराष्ट्रीय हवाईअड्डे को जाने वाली सड़क अवरुद्ध कर दी थी, जिसके चलते इटली की आधिकारिक यात्रा पर जा रहे नेतन्याहू को हेलीकॉप्टर से हवाईअड्डे पहुंचना पड़ा था।
सड़क जाम करने वाले प्रदर्शनकारियों ने हाथों में तख्तियां थाम रखी थीं, जिन पर लिखा था-‘वापस मत आना!’ इज़राइल में लाखों प्रदर्शनकारी हर शनिवार को नेतन्याहू सरकार के खिलाफ किए जा रहे साप्ताहिक विरोध-प्रदर्शन में हिस्सा ले रहे हैं। प्रदर्शनकारी नेतन्याहू के राष्ट्रपति आइजैक हरज़ोग द्वारा दिए गए समझौता प्रस्ताव को ठुकराने से और नाराज हो गए हैं। हरज़ोग ने बुधवार को टेलीविजन पर प्रसारित संबोधन में नेतन्याहू को समझौते की पेशकश की थी। उन्होंने न्यायिक प्रणाली में बदलाव के नेतन्याहू सरकार के प्रस्ताव के खिलाफ देश में दो महीने से अधिक समय से जारी विरोध-प्रदर्शनों के बीच यह कदम उठाया था।
हरज़ोग ने कहा था कि उन्होंने समाज के विभिन्न तबकों के साथ व्यापक विचार-विमर्श किया है। जिसमें यह निष्कर्ष निकला कि इज़राइल के अस्तित्व को बचाए रखने के लिए एक समझौते पर सहमति बनना जरूरी है। राष्ट्रपति ने आगाह किया था। जो कोई भी सोचता है कि एक वास्तविक गृहयुद्ध मानव जीवन की एक ऐसी रेखा है। जिस तक हम कभी नहीं पहुंचेंगे।
तो उसे यह अंदाजा भी नहीं है कि हम उस भयानक स्थिति के बहुत करीब पहुंच गए हैं। हालांकि, नेतन्याहू ने हरज़ोग की पेशकश ठुकराने में समय नहीं लगाया। उन्होंने जर्मनी के लिए विमान से उड़ान भरने से पहले हवाईअड्डे पर संवाददाताओं से बातचीत में कहा, दुर्भाग्य से राष्ट्रपति ने समझौते में जो प्रावधान रखे, उन पर गठबंधन के सहयोगी सहमत नहीं हुए। और उनके प्रस्ताव के मूल तत्व केवल वर्तमान स्थिति को बनाए रखते हैं और शाखाओं के बीच आवश्यक संतुलन कायम नहीं करते हैं। यह एक दुर्भाग्यपूर्ण सच है।
न्यायिक प्रणाली में बदलाव की नेतन्याहू की योजना पर अमल से इज़राइली संसद को उच्चतम न्यायालयों के फैसलों को पलटने और न्यायधीशों की नियुक्ति करने का अधिकार मिल जाएगा। नेतन्याहू सरकार का तर्क है कि काफी समय से लंबित इस प्रावधान का मकसद न्यायाधीशों के व्यापक प्रभाव में कमी लाना है।
हालांकि, नेतन्याहू के आलोचकों का कहना है कि यह प्रावधान सत्ता पर नेतन्याहू और उनकी सरकार का एकाधिकार कायम करने में मददगार साबित होगा। आलोचकों का यह भी आरोप है कि भ्रष्टाचार का सामना कर रहे नेतन्याहू ने कानून के शिकंजे से बचने के लिए यह प्रस्ताव पेश किया है।