पंचतंत्र

PanchTantra-कान भरने की कला भाग-14

उसी तरह कहानी ने ठान लिया था कि वह अपने भीतर से कहानियों के अंडे और चूजे तो निकालती जाएगी पर जब तक राजकुमार हाथ जोड़ कर कह नहीं देंगे कि उनकी अक्ल दुरुस्त हो गई, तब तक वह खत्म भी नहीं होगी।

राजकुमार दस कहानी का अंत जानने के लिए बैचैन थे। वे सोते जागते इन कहानियों के बारे में ही सौचते रहते। कहानी उन्हें इतनी पसंद आई कि उनके सौभाग्य से यह पूरी हुई भी तो वे ऐसी ही दूसरी कोई कहानी सुनने की जिद करने लगे।

उन्हें यह पता ही नहीं चल रहा था कि विष्णुशर्मा कहानियों के मधु में ज्ञान नामक गुडुची का सत भी मिलाते जा रहे हैं जिसे अलग से चखने पर उन्हें पहले उबकाई आने लगती थी।   ………………..इससे आगे भाग-15 में पढ़िए…

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