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प्रणव दा और बिल गेट्स ने किसकी कर दी बोलती बंद

देश के मृतप्राय: से हो चुके विपक्ष और उनके समर्थकों को पिछले दिनों एक के बाद दो करारे झटके लगे। ये झटके वैसे पूरे विश्व के लिये अप्रत्याशित थे। इसलिए इन झटकों से विपक्ष अचानक पक्षाघात पीड़ित मरीज की तरह परेशान हैं। ये झटके दिए गए दिवंगत पूर्व राष्ट्रपति प्रणव कुमार मुखर्जी की किताब के कुछ अंशों ने और माइक्रोसॉफ्ट के संस्थापक बिल गेट्स द्वारा प्रधानमंत्री मोदी को लेकर व्यक्त किये गये बेबाक विचारों के कारण।

“द प्रेसिडेंशियल इयर्स 2012-2017” नामक पुस्तक में प्रणव दा ने तो नरेंद्र मोदी और डॉ0 मनमोहन सिंह की तुलना ही कर डाली। वह लिखते हैं कि डॉ मनमोहन सिंह मूल रूप से एक अर्थशास्त्री हैं जबकि मोदी के बारे में वह कहते हैं कि मोदी मूल रूप से एक जमीनी राजनीतिज्ञ हैं। प्रणब दा आगे लिखते हैं, “मोदी जी जब गुजरात के सीएम थे तभी उन्होंने अपनी एक ऐसी छवि बनाई जो आम जनता के दिल में भा गई। उन्होंने प्रधानमंत्री पद को अपनी मेहनत और लोकप्रियता से अर्जित किया है।”जबकि, डॉ0 मनमोहन सिंह को यह पद एक तरह से उपहार स्वरुप मिला” वे एक जगह ये भी लिखते हैं कि “जब मुझे मोदी के विस्तृत इलेक्शन शेड्यूल (लोकसभा चुनाव 2014) के बारे में बताया गया तो वह न केवल भीषण था बल्कि, बहुत ही कठिन और श्रमसाध्य भी था।”

फूले हाथ-पैर विपक्ष के

प्रणव दा तो जीवन भर कांग्रेस से जुड़े रहे। कांग्रेस ने ही उन्हें राष्ट्रपति भी बनाया। इस तरह के शख्स का घनघोर संघी मोदी जी के लिए सकारात्मक लिखने से विपक्ष के तो हाथ-पैर ही फूल गए हैं। सोनिया जी जिन्हें प्रधानमंत्री पद इसलिये नहीं मिल सका क्योंकि राष्ट्रपति अबुल कलाम ने उन्हें बता दिया था कि चूँकि वे देश की स्वाभाविक नागरिक नहीं हैं, किसी भी समय उनको भारतीय नागरिकता प्रदान करने का आदेश न्यायालय में चैलेन्ज हो सकता है।

तब उन्होंने ही मनमोहन सिंह को मनोनीत किया था। फिलहाल जो मोदी और उनकी सरकार की अकारण कमियां निकालने का कोई अवसर नहीं छोड़ते, उनके लिए तो अब अपना चेहरा छिपाने की जगह तक नहीं मिल रही। प्रणव दा 2014 के लोकसभा चुनाव नतीजों पर लिखते है कि भारतीय मतदाता समूह जो गठबंधन सरकारों की अनिश्चितताओं से थक से गए थे उन्हें नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भाजपा उन्हें एक बेहतर विकल्प लगी और उन्हें महसूस हुआ कि मोदी जी की सरकार उनकी जरूरतों को पूरा कर सकती है।

प्रणव दा ही पर्याप्त नहीं थे मोदी और भाजपा को पानी पी-पीकर कोसने वालों के जख्म पर नमक छिड़कने का काम बिल गेट्स ने यह कहकर पूरा कर दिया कि कोविड से लड़ाई में भारत की रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग की विश्व के अन्य महान देशों के मुकाबले कहीं ज्यादा अहम भूमिका है। बिल गेट्स ने कोरोना वायरस के खिलाफ जारी लड़ाई में भारत के श्रेष्ठ और अहम योगदान की बात कही है। बिल गेट्स ने कहा कि भारत की रिसर्च और मैन्यूफैक्चरिंग की क्षमता कोरोना से लड़ाई के खिलाफ काफी अहम है।

बिल गेट्स ने यह बात प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा दिए गए ग्रैंड चैलेंजेज एनुअल मीटिंग 2020 में संबोधन को ध्यानपूर्वक सुनने के बाद कही। एक बात समझ ली जाए कि सारी दुनिया बिल गेट्स का मात्र इसलिए सम्मान नहीं करती कि वे संसार के सबसे बड़े दानी इँसान है। उनका सम्मान इसलिए होता है क्योंकि गेट्स लगातार विश्व कल्याण के संबंध में सोचते ही रहते हैं। वे संसार को निरोगी बनाने और निरक्षरता के अंधकार से बाहर निकालने के लिए हर साल अरबों डॉलर का निवेश करते रहते हैं। यदि वे कोरोना के खिलाफ जंग में मोदी जी के पक्ष में कोई बात रख रहे हैं तो उसका तो निश्चित रूप से बड़ा मतलब होता है।

गेट्स जैसे कई शख्स सदियों के बाद ही पृथ्वी पर जन्म लेते हैं। धन कुबेर तो हर काल में रहे हैं और नए-नए बनते भी रहेंगे। पर गेट्स जैसे धन-कुबेर और स्कन सेवी का संयोग तो विरले ही होते हैं। गेट्स अब अपनी कंपनी के कार्यों से तो सामान्यतः अपने को दूर ही रखते हैं। उनकी चाहत है कि वे अपने शेष जीवन में स्वास्थ्य, विकास और शिक्षा जैसे सामाजिक और परोपकारी कार्यों पर ही अधिक ध्यान दे रहे हैं। बताइये हाल के दौर में कितने उद्यमी या राजा-महाराजा गेट्स की तरह समाज सेवा में पूरी तरह से जुट गए हों? दुनिया के किस देश का राष्ट्रपति या प्रधानमंत्री बिल गेटस से मिलना नहीं चाहता? वे अब पूरी तरह विश्व नागरिक बन चुके हैं। वही गेट्स मोदी जी के नेतृत्व वाले भारत को उम्मीद की नजरों से देख रहा है।

महामानव बिल गेट्स

अब गेट्स जैसा महामानव मोदी जी की कोराना जैसी भयंकर वैश्विक आपदा के समय प्रशंसा करे तो इस पर तो सारे देश को ही गर्व करना चाहिए। पर अफसोस कि विपक्ष ने एक बार भी मोदी सरकार की तारीफ नहीं कि उनके नेतृत्व में भारत इस संकटकाल का किस तरह से अपने दायित्वों का मुकाबला रहा है। उलटे भारत निर्मित कोरोना वैक्सीन पर ही तरह-तरह के उटपटांग सवाल उठा रहे हैं।

फिर बात करते हैं प्रणव दा की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ राष्ट्रपति रहते हुए प्रणव मुखर्जी ने उनसे अपने संबंधों को लेकर लिखा कि कठिन परिस्थितियों के बावजूद आधुनिक भारत में यह राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के बीच सबसे सहज रिश्तों में से एक था। प्रणव मुखर्जी की छवि एक कुशल राजनेता और विद्वान नेता की थी। वे जीवन भर सीधी और साफ बात कहने के लिए विख्यात रहे।

दोहरे आघात किसे लगे

प्रणव दा और बिल गेट्स से मिले डबल आघातों से वे सब अनावश्यक दुखी हैं जो मोदी और उनकी सरकार के कामकाज पर बिना किसी कारण हल्ला बोलते रहते हैं। ये विपक्षी नेता प्रजातंत्र के धर्म का निर्वाह करने में सिरे से नाकाम रहे हैं। लोकतंत्र में वाद-विवाद-संवाद की प्रक्रिया तो निरंतर जारी रहना ही चाहिए। लोकतंत्र में स्वस्थ बहस और आलोचना के लिए हमेशा जगह भी रहनी चाहिए। पर मौजूदा विपक्ष का एकमात्र काम तो सरकार के पीछे पड़े रहना है। इन्होने भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी से कुछ भी नहीं सीखा।

देश के मौजूदा विपक्ष के कथित तौर पर बड़े नेता बने हुये राहुल गांधी ने राफेल सौदे पर प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी पर अनर्गल आरोपों की झड़ी लगा दी थी। वे राफेल सौदे में प्रधानमंत्री मोदी पर इस तरह से आरोप लगा रहे थे जैसे कि उनके पास कोई पुख्ता प्रमाण हों। वे बार-बार मोदी जी को 15 मिनट तक बहस करने की चुनौती दे रहे थे। बेवजह राफेल-राफेल कर रहे थे। हालांकि उनके वे सारे आरोप सदा की भांति गलत साबित हुए। यही विपक्ष सरकार से सुबूत मांग रहा था जब भारत ने पाकिस्तान के अंदर घुसकर हमला करके उस धूर्त देश को उसकी औकात बताई थी। भारत ने एक तरह से पाकिस्तान के साथ-साथ चीन को भी कड़ा संदेश दे दिया था कि अगर भारत की तरफ तिरछी नजर से देखा तो गर्दन में अंगूठा डाल दिया जाएगा। पर हमारा विपक्ष सरकार से ही सवाल पूछे जा रहे था।

मोदी के सामने बौने सब

फिलहाल देश में तो क्या पूरे विश्व भर में मोदी के सामने कोई अन्य नेता बराबरी में खड़ा तक नहीं होता है। उनके सामने तो सब के सब बौने हैं। उनकी समूचे देश में ही नहीं विश्व भर में स्वीकार्यता लगातार बढ़ती ही चली जा रही है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की शख्सियत को और भी प्रकाशित कर दिया है, प्रणव दा और बिल गेट्स ने। स्वाभाविक है कि इससे मोदी जी की निंदा करने वाले जो बैकफुट पर आ गए हैं अब अपनी औकात समझ जायेंगे।

(लेखक वरिष्ठ संपादक, स्तभकार और पूर्व सांसद हैं)

 

 

RK Sinha

वरिष्ठ संपादक, स्तम्भकार और पूर्व सांसद।

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One Comment

  1. मेरा पीएम मेरा अभिमान है, वो व्यक्ति जिसने देश को अपना सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन इस देश को सर्वोच्च शिखर पर लाकर खड़ा कर दिया है,
    मान मोदी जी की तुलना पूर्व प्रधानमंत्री डॉक्टर मनमोहन से करके विपक्ष सहानुभूति तो जता सकता है, लेकिन मोदी जी जैसे फैसले कोई नही ले सकता, और न ही उनकी जगह कोई ले सकता है।

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