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नदियों में प्रदूषण रोकने के लिए मंदिरों में चढ़ाए गए फूलों से बनाई जाएंगी सुगंधित अगरबत्ती

आम दिनों में या फिर किसी त्योहार के समय जब हम पूजा पाठ करते हैं तो भगवान को चढ़ाए हुए फूलों को नदियों में विसर्जित कर देते है। खादी ग्राम उद्योग की ओर बताया गया है कि यह उसकी नई पहल है।। इसके तहत मंदिरों और घरों से निकले हुए फूलों को नदियों में बहाने के बजाए उसे रिसाइकिल करके सुगंधित अगरबत्ती बनाने का काम शुरू किया जा रहा है।

नई दिल्ली में आईटीपीओ (भारतीय व्यापार संवर्धन संगठन) मेले में खादी से बने वस्तुओं की प्रदर्शनी लगाई गई है। जिसमें आत्मनिर्भर भारत और लोकल फोर वोकल को तरजीह दिया जा रहा है। खादी लोकल फार वोकल के तहत उन लोगों को आर्थिक मदद भी कर रहा है जो स्वंय समूह के माध्यम से काम शुरू कर रहे है।

हमने दिल्ली के बड़े मंदिर जिसमें कनॉट प्लेस का हनुमान मंदिर, लोधी रोड का सांई बाबा मंदिर शामिल है। उससे करार किया है। वहां प्रतिदिन प्रयोग में लाए जाने वाले फूलों को हम भगवान पर चढ़ाने के बाद रिसाइकिल करते है।

रोजाना दो टन फूल हो रहे रिसाइलकल

इस समय दिल्ली में रोजाना दो टन फूल उनकी संस्था की ओर से रिसाइकिल किया जा रहा है। जिसमें महिलाओं की ओर से पहले फूलों को सुखाया जाता है इसके बाद उसे मशीन में डालकर अगरबत्ती बनाया जाता है।

पूरी तरह आर्गेनिक है

इस तरह के प्रोडेक्ट सामान्य प्रोडक्ट से काफी बेहतर है। खादी की ओर से यह बताया गया कि सामान्य अगरबत्ती में 18 प्रतिशत तक कार्बन का उत्सर्जन होता है। इसके ठीक विपरीत इस तरह के प्रोडक्ट को बनाने के बाद महज तीन प्रतिशत तक ही कार्बन का उत्सर्जन होता है। जो कि वातावरण के लिहाज से भी काफी सही है।

ट्रेनिंग दी जा रही है

ऐसे लोग जो इस तरह के चीजों को बनाकर अपना रोजगार शुरू करना चाहते है। उनके लिए खादी ग्राम उद्योग की ओर से ट्रेनिंग की भी विशेष व्यवस्था की जा रही है। वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की ओर लोगों को इस बात की ट्रेनिंग दी जा रही है। कि कैसे इस तरह के प्रोडक्ट को बनाया जा सकता है।

केंद्रीय मंत्री नारायण राणे का कहना है कि खादी को जब हम गांव-गांव से जोड़ेंगे तो उससे गांवों के स्तर पर आर्थिक सम्पन्नता आएगी। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के आत्मनिर्भर भारत की कोशिशों को बल मिलेगा और खादी जन जन तक पहुंचेगा।

ऐसा होना नहीं चाहिए था, लेकिन हुआ।

ये कोई नई पहल नहीं है। ये खादी ग्रामोद्योग की पहल नहीं है, बल्कि अमित अग्रवाल की पहल की चोरी है।

इस घोषणा से पूर्व कानपुर के इंजीनियरिंग स्नातकों अंकित अग्रवाल और प्रतीक कुमार द्वारा जुलाई 2017 में स्थापित, FOOL.CO फूलों के कचरे को चारकोल मुक्त लक्जरी धूप उत्पादों में परिवर्तित करने की परिपत्र अर्थव्यवस्था पर केंद्रित है।

कानपुर फ्लावरसाइक्लिंग प्रा लि0 PHOOL पूर्व में हेल्पयूएसग्रीन की स्थापना अंकित अग्रवाल ने कानपुर शहर में गंगा को साफ करने के लिए की थी। वे भारत भर के मंदिरों के फूलों का उपयोग करते हैं और उपयोगी उत्पाद जैसे गुलाब की अगरबत्ती, फूल वर्मीकम्पोस्ट बनाते हैं। फूल कानपुर फ्लावरसीलिंग प्राइवेट लिमिटेड के स्वामित्व वाला एक ब्रांड है।

PHOOL पूर्व में हेल्पयूएसग्रीन का नेतृत्व संस्थापक और सीईओ अंकित अग्रवाल कर रहे हैं। फूल की स्थापना से पहले, अंकित ने सिमेंटेक कॉर्पोरेशन में एक ऑटोमेशन वैज्ञानिक के रूप में काम किया और उनके पास 17 शोध पत्र और एक पेटेंट है। सस्टेनेबिलिटी में उनकी दिलचस्पी वेस्ट टायर पायरोलिसिस के लिए किए गए शोध से उपजी है।

PHOOL की स्थापना 2015 में हुई थी। फूल का मुख्यालय कानपुर, उत्तर प्रदेश में स्थित है। फूल के सह-संस्थापक और सीईओ, अंकित अग्रवाल हैं।

07 अक्टूबर 2021 से इसकी फण्डिंग इनवेस्टर आलिया भट्ट हैं।

 

बेहतर होता इस प्रोग्राम में इन बच्चों को भी उनके सफल नेतृत्व के लिए योगी महाराज जी द्वारा सराहा जाता, लेकिन हो सकता है कि उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्य नाथ को इसकी जानकारी ही ना दी गई हो। ऐसा किया जाना प्रदेश की प्रतिभा को हतोत्साहित करना ही कहा जायेगा।

(NW News Agency)

जिसका प्रत्येक लेख बहस का मुद्दा है.

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