सन्यासी की परंपरागत छवि बदलते योगी
ये योगी का ही कमाल था कि अब बड़े से बड़े अपराधी को अपनी जान बचाने के लिए जेल सबसे सुरक्षित जगह लगने लगी थी। एक समय था जब यू पी में सरकारी योजनाएं भ्रष्टाचार और लालफीताशाही की भेंट चढ़ जाया करती थीं लेकिन आज इस राज्य को केंद्र सरकार की योजनाओं को सबसे बेहतर ढंग से लागू करने का श्रेय प्राप्त है। प्रधानमंत्री आवास योजना के तहत 430,000 घरों का निर्माण इसका उदाहरण है। महिलाओं और बच्चों के स्वास्थ्य के क्षेत्र में भी योगी सरकार के कार्यों को यूनाइटेड नेशंस चिल्ड्रन फण्ड द्वारा सराहा गया है। अर्थव्यवस्था के क्षेत्र में 2018 में उत्तर प्रदेश इन्वेस्टर्स समिट में 4.7 लाख करोड़ रुपए का निवेश आकर्षित किया और 2019 में 65 हज़ार करोड़ रुपए की योजनाओं की नींव रखी।
योगी आदित्यनाथ का कहना है कि 2024 तक वे उत्तर प्रदेश को एक ट्रिलियन डॉलर की अर्थव्यवस्था बनाने का लक्ष्य रखते हैं। इस दिशा में कदम उठाते हुए उत्तरप्रदेश देश का वो पहला राज्य बनने जा रहा है जो कोरोना काल में चीन छोड़ने वाली विदेशी कंपनियों को आमंत्रित कर अपने प्रदेश के युवाओं के लिए रोज़गार और प्रगति के नए दरवाज़े खोलने जा रहा है। लेकिन सरकार के सामान्य काम काज और कठोर निर्णयों के साथ प्रशासनिक सुधारों से इतर अगर राजनीति की बात की जाए तो भी योगी आदित्यनाथ अपने अब तक के कार्यकाल में बेहद मजबूती से यह संदेश देने में भी सफल हुए हैं कि सरकार चलाना और राजनीति करना दो अलग अलग बातें हैं और जब जनकल्याण की बात आती है तो वे भली भांति जानते हैं कि दोनों में से किसे चुनना है।
दरअसल मुख्यमंत्री का पद संभालते ही उन्होंने सबसे पहले राज्य के प्रशासनिक तंत्र में लगी भ्रष्टाचार और परिवारवाद से उपजी अकर्मण्यता और मक्कारी की दीमक को साफ करके अपने इरादे जता कर आमजन में उम्मीद के अनेक दीपक जला दिए थे। लेकिन कोरोना काल में जिस प्रकार योगी सरकार ने अपने प्रदेश के एक एक व्यक्ति के जीवन को महत्व दिया, उसकी पीड़ा को समझा, उसकी परवाह की और कोरोना महामारी जैसी आपदा से निपटने में जिस कार्यकुशलता का परिचय देकर अपना उत्तर प्रदेश मॉडल देश के सामने रखा वो अन्य राज्यों के लिए नज़ीर बन गया। चाहे वो राज्य में विशेष समुदाय द्वारा कोरोना वारियर्स के प्रति हिंसक और अभद्र घटनाएं हों चाहे प्रवासी मजदूर हों या दूसरे प्रदेश में पढ़ने गए छात्र।