असली हिन्दू हृदय सम्राट …!!!!
कँगना शिवसेना को बाबर सेना कह रही है उद्धव ठाकरे को ललकार रही है। एक राज्य के मुख्यमंत्री से तू तड़ाक करके बात कर रही है उनसे प्रेरित होकर भक्तों की सेना उन्हें नपुंसक मुख्यमंत्री तक कह रही है। राजनीति किस तरह बदलती है, यह आपको आज बीजेपी की बेबसी बता रही है।
बाल ठाकरे भारत की हिन्दूत्व वादी विचारधारा के सबसे आक्रमक चेहरा थे। उन्हें हिंदुत्व के कट्टरपंथी समर्थक “हिन्दू हृदय सम्राट” कहकर बुलाते थे और यह उपाधी प्राप्त करने वाले वो पहले राजनेता बने थे। बाला साहब ठाकरे का ऐसा जलवा है कि आज नरेन्द्र मोदी के तमाम हिंदूवादी दावे के बाद भी महाराष्ट्र में उन्हें हिन्दू हृदय सम्राट नही कहा जाता है।
2002 के गुजरात दंगों के बाद देश की राजनीति में हिंदुत्व के दो ही चेहरे थे। एक थे बाल ठाकरे और दूसरे नरेन्द्र मोदी, ठाकरे अपने ढलान पर थे और मोदी अपने उफान पर थे। ठाकरे की बढ़ती उम्र के कारण देश की हिंदी और पश्चिम पट्टी में नरेंद्र मोदी ने बहुत जल्दी इस स्पेस को भरने का काम किया और इसमें साथ दिया कारपोरेट पोषित दोगले पत्रकारों ने जिन्होंने हिंदुत्व जैसे उदार धर्म को कट्टरपंथी मोदीत्व कह कर ब्रांड मोदी को भारतीय राजनीति में लांच कर दिया।
2002 के बाद मोदी के समर्थकों ने शिवाजी महाराज से लेकर पटेल तक का संघीकरण का प्रयास किया। यँहा तक कि महात्मा गाँधी को भी संघ ने अपना लिया,संघ छत्रपति शिवाजी को शुरू से कट्टर हिन्दू का नायक बनाकर पेश करते हैं, लेकिन वो भूल जाते हैं कि शिवाजी महाराज सभी धर्मों का सम्मान करते थे। शिवाजी महाराज ने अपनी राजधानी रायगढ़ में अपने महल के ठीक सामने मुस्लिम श्रद्धालुओं के लिए एक मस्जिद का ठीक उसी तरह निर्माण करवाया था, जिस तरह से उन्होंने अपनी पूजा के लिए जगदीश्वर मंदिर बनवाया था। उनकी नौसेना की कमान सिद्दी संबल के हाथों में थी। जब छत्रपति शिवाजी आगरा के किले में नजरबंद थे, तब कैद से निकल भागने में जिन दो व्यक्तियों ने उनकी मदद की थी, उनमें से एक मदारी मेहतर मुसलमान थे।
मोदी शुरू से जानते थे कि शिवसेना का असली हिन्दुत्व उन पर भारी है, इसलिए वो महाराष्ट्र में ठाकरे परिवार का गुणगान से परहेज करते रहे। उन्होंने इस पार्टी को गुंडों की पार्टी तक कह डाला था। उन्होंने शिवसेना के असली हिंदूत्व को मिटाने का भरपूर प्रयास किया, लेकिन शिवाजी महाराज के सेवक उध्दव और आदित्य ने उनका खेल पलट दिया और पूरे महाराष्ट्र को असली हिंदुत्व का चेहरा दिया।
मोदी जब गुजरात के मुख्यमंत्री थे, तब अटलजी ने उन्हें राजधर्म का पाठ पढ़ाया था। लेकिन मोदी शुरू से ही गुजरात को हिंदुत्व की प्रयोगशाला के तौर पर देखते रहे। उन्होंने 10 सालो में गुजरात में हिंदुइज्म को मोदीइज्म बना डाला। उन्होंने लोगों को सनातन उदार हिन्दू धर्म के असली विचार से दूर कर दिया।
2019 में जब उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री का पद संभाला था, तब लोग उन्हें कमजोर औऱ ढीला मुख्यमंत्री समझ रहे थे औऱ कुछ लोगो ने तो उन्हें पवार के हाथ का खिलौना तक कह दिया थां लेकिन एक अनिच्छुक राजनेता से, उद्धव ठाकरे कोरोना खिलाफ लड़ाई में एक जननेता के रूप में उभरे हैंं
सच्चा हिंदुत्व आपको शांति और उदारता सिखाता है आज की स्थिति में, उद्धव महाराष्ट्र के लिए सबसे अच्छे मुखिया हैं, क्योंकि वह अपने साथ एक शांत ऊर्जा और एक नया दृष्टिकोण लेकर आए हैंं वो मजदूरों से लेकर अल्पसंख्यक का भरोसा जीत रहे हैं। वो लगातार फेसबुक पर लाइव होकर लोगों की समस्या सुन रहे हैं, उनसे व्यक्तिगत संवाद कर रहे हैं।
कोरोना काल में जिस तरह से उन्हीने अफवाह और मीडिया को नियंत्रित किया है, वो तारीफ के काबिल है। उन्होंने आक्रामक होकर जिस तरह से अपराधियों पर कठोर कार्यवाही की है, वो यह बताता है कि राजा का धर्म केवल जनता की रक्षा और सेवा करना होता है।
शिवाजी महाराज को जनता का राजा कहा जाता था। भारत के असली हिन्दू हृदय सम्राट वो ही थे जो सभी धर्मों का सम्मान करते थे और जनता को ही उनका परिवार मानते थे। आज उद्धव ठाकरे को एक ऐसे पारिवारिक व्यक्ति के रूप में हैं, जो लोगों को उस प्रेम और शांति से इस संकट से बाहर निकाल रहा है।
सौजन्य से:-
अपूर्व भारद्वाज की फेसबुक वॉल से।