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Start-up से उद्योग लगाकर बनें जॉब क्रियेटर

लखनऊ। उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि उनकी सरकार ने सूबे में ‘Start-up’ को बढ़ावा देने के लिए एक हजार करोड़ रुपये का Corpus Fund बनाया हैI सरकार अगले महीने SIDBI (सिडबी) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर करेगी। मुख्यमंत्री ने ‘Start-UP यात्रा’ की शुरूआत करते हुए कहा कि प्रदेश में स्टार्ट-अप की काफी संभावनाएं हैं।
वास्तव में ‘एक भारत, श्रेष्ठ भारत’ की परिकल्पना को साकार करना है तो प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की ‘स्टार्ट-अप इण्डिया’ और ‘स्टैण्ड अप इंडिया’ योजनाएं काफी महत्वपूर्ण हैं। मैं सोचता हूं कि अगर उत्तर प्रदेश शुरूआत करेगा तो भारत शुरूआत करेगा।
उन्होंने कहा कि प्रदेश सरकार ने Start-up के लिए एक हजार करोड़ रुपये का Corpus Fund बनाया है। सरकार अगली 15 सितम्बर तक भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (Small Industries Development Bank of India) के साथ एक समझौते पर हस्ताक्षर कर सकती है। उन्होंने कहा कि सरकार ने Start-up के लिए अपनी वेबसाइट शुरू की है और एक कॉल सेंटर के माध्यम से स्टार्ट-अप से जुड़ी समस्याओं के समाधान का मार्ग निकाला है।
साथ ही सरकार स्टार्ट-अप के लिए समर्पित मोबाइल एप्लीकेशन भी शुरू करने जा रही है। उन्होंने कहा कि जितनी भी समस्याएं होंगी, उनका समाधान किया जाएगा। छात्रों को स्टार्ट-अप के माध्यम से स्वरोजगार के लिए प्रेरित करने के उद्देश्य से विश्वविद्यालयों तथा अन्य प्रमुख शिक्षण संस्थाओं को 25 लाख रुपये की प्रोत्साहन राशि दी जाएगी।

विशेष टिप्पणी

UPTU (यूपी टेक्निकल यूनिवर्सिटी) का नाम परिवर्तित करके डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम पर AKTU कर देने भर से ही प्रदेश का भला होने वाला नहीं है।

कलाम साहब जिस विधा की थे,यदि उस विधा यानि ऐरोस्पेस का नाम ये यूनिवर्सिटी ऊँचा नहीं कर पाई तो क्या मायने इस यूनिवर्सिटी का नाम डॉक्टर एपीजे अब्दुल कलाम के नाम कर देने से। प्रदेश में अकेला यह एक संस्थान है,FGIET (एफजीआईईटी), जो रायबरेली में स्थित है।

यहाँ के ज्यादातर बच्चे GATE क्लीयर करके IIT और IISc,बेंगलुरु में MTech करने जाते हैंI लेकिन उन बच्चों को प्रदेश में ही कोई जनता तक नहीं। यहॉं तक कि AKTU को भी पता नहीं कि उन्हीं के अधीन ऐसा संस्थान भी है, जहॉं के Student हर साल GATE क्लीयर ही नहीं करते हैं, बल्कि टॉप भी करते हैं। ग्रांट के नाम पर सरकारी कालेजों को ग्रांट दे दी जाती है लेकिन यह संस्थान फ़िरोज़ गाँधी के नाम पर बना हुआ है, इसलिए इसको आगे बढ़ाने के लिए कोई साथ देने को तैयार नहीं।

एयरोस्पेस के मामले में स्कूल ऑफ नेशनल इम्पोर्टेंस की अहमीयत रखने वाला उ0प्र0 में यह एक अकेला संस्थान है। लेकिन संसाधनों की कमी, योग्य प्रोफेसर्स को अच्छा वेतन न दे पाने की मजबूरी, क़्वालीफाइड स्टाफ को ना रख पाने तथा यहाँ के होनहार बच्चों को अपनी प्रतिभा को निखारने में आ रही वित्तीय कमी के कारण अपना हुनर नहीं दिखा पा रहे हैं।

हमारा दावा है की यदि इस संस्थान को सौ करोड़ की मदद केंद्र अथवा राज्य सरकार कर दे तो निश्चित रूप से देश के प्रधानमंत्री जी का सपना यह इंजीनियरिंग इंस्टिट्यूट अवश्य पूरा कर देगा।

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