समाजवाद का मतलब परिवारवाद तो नहीं! अनिल त्रिपाठी
बाराबंकी के गांधी भवन में समाजवाद के पितामह एवं प्रख्यात शिक्षाविद आचार्य नरेन्द्र देव जी की 131वीं जयन्ती पर गांधी जयन्ती समारोह ट्रस्ट की ओर से घनघोर समाजवादी चिन्तक राजनाथ शर्मा जी द्वारा आयोजित नरेन्द्र देव के नजरिये का समाजवाद विषयक संगोष्ठी के मुख्य अतिथि अनिल त्रिपाठी ने कहा कि मंहगाई, अशिक्षा, बेरोजगारी और असमानता के खिलाफ समाजवाद ही असली हथियार है। त्रिपाठी ने कहा कि समाजवाद किसी जाति विशेष का बंधक कैसे हो सकता है? समाजवाद तो जाति तोड़ो का परिचायक है।
समाजवाद में समता, समानता और सम्पन्नता लाना ही समाजवाद है। इन्हीं बातों को अंगीकार करते हुए आचार्य नरेन्द्र देव ने समाजवाद का नारा दिया था। त्रिपाठी ने कहा कि संसार में जबतक समाजवाद रहेगा आचार्य नरेन्द्र देव के विचारों की प्रासंगिकता बनी रहेगी।
त्रिपाठी ने कहा कि आचार्य नरेन्द्र देव सम्पन्न कायस्थ परिवार से थे, इसके बावजूद वह राष्ट्रीय आन्दोलन में शामिल हुए और समाजवादी विचारधारा को अंगीकार करते हुए कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया। वर्तमान परिवेश में सम्पन्न परिवार के लोग व्यवस्था को कोसते जरूर हैं, लेकिन सड़क पर नहीं निकलते। वे स्वंय में, अपने परिवार तक अथवा अपनी जाति विशेष में ही सीमित हो जाते हैं और इसे ही समाजवाद समझते और समझाते हैंं। इसी में कुछ लोग ऐसे भी हैं जो समाजवाद के नाम पर परिवारवाद की ही विरासत खड़ी कर रहे हैं।
इस अवसर पर आचार्य नरेन्द्र देव जी के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें भावभीनी श्रद्धान्जलि भी अर्पित की गई। वरिष्ठ गांधीवादी नेता राजनाथ शर्मा ने कहा कि 1934 में जब कांग्रेस से टूटकर समाजवादी विचारधारा के लोगों ने कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी का गठन किया था, तो जो गुट अलग हो गया था, उसका नेतृत्व आचार्य नरेन्द्र देव ने ही किया था। मार्क्सवाद से अलग हटकर समाजवाद की जो विचारधारा भारतीय परिवेश में समाहित हुई उसकी चिंतन परम्परा में आचार्य नरेन्द्र देव अग्रणी थे। कांग्रेस सोशलिस्ट पार्टी से संयुक्त सोशलिस्ट पार्टी तक यह आंदोलन अनेक कलेवर बदलता रहा। और अन्त में लोेहिया के निधन के बाद यह कमजोर पड़ गया। इसी आंदोलन के चिंतक आचार्य नरेन्द्र देव थे।
संगोष्ठी की अध्यक्षता कर रहे बाराबंकी जिला बार एसोसियेशन के अध्यक्ष जगत बहादुर सिंह ने कहा कि समाजवादियों ने देश को संवारने का काम किया।आज समाजवाद जातियों में विभाजित हो गया है। जरूरत समाजवाद को अंगीकार करने की है।
इस सभा का संचालन वरिष्ठ सपा नेता हुमायूं नईम खान ने किया। इस मौके पर लखनऊ से आये वरिष्ठ पत्रकार सतीश प्रधान, जिला बार एसोसियेशन के पूर्व अध्यक्ष बृजेश दीक्षित, नेशनल वॉयस के निदेशक वासिक रफीक वारसी, मृत्युंजय शर्मा, उमानाथ यादव सोनू समाजसेवी अशोक शुक्ला, जमील उर रहमान, सै0 मो0 नदीम वारसी, आसिफ हुसैन, विनय कुमार सिंह, श्रीनिवास त्रिपाठी, संतोष शुक्ला, पाटेश्वरी प्रसाद, राद्यवेन्द्र प्रताप सिंह, रमेश चन्द्र, पी0के0 सिंह, सत्यवान वर्मा, नीरज दुबे, मनीष सिंह, अनिल यादव, मो0 अदीब इकबाल, राहुल यादव सहित कई गणमान्य लोग उपस्थित रहे।