वन्दे मातरम
Shrimanta Shankardev-महान विभूति भाग-3
एक कीर्तन में कहा गया है:
कुकुर चंडाल गर्दभरो आत्मा राम।
जानिया सबको परि करिबा प्रणाम।।
कुत्ते, चंडाल, गर्दभ सब की आत्मा में राम का निवास है। इसी उदार वाणी की महिमा है कि गारो जाति का गोविन्द आत्मा, मिरि का परमानन्द, भोट का दामोदर, नगा का नरोत्तम, कछारी का रमाई व मुसलमानों का चांदखां आदि ने शंकर के नामधर्म को अपनाया था।
महापुरुष Shankardev के नाम धर्म की विशेषता यही थी कि जनजातीय मुस्लिम एवं शाक्तों ने भी उसको अपनाया। उनका नव वैष्णव धर्म अत्यन्त सरल था और सत्य एवं अहिंसा के मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता था। वे दामोदर देव व महेन्द्र कंदली जैसे भक्तों के बराबर सम्मान के अधिकारी बने थे।
नामधर और सत्र असम के धार्मिक सामाजिक जीवन के मूलाधार हैं। धर्म और लोकतंत्र का पाठ पढ़ाने वाले संस्थान हैं। सत्रों की स्थापना गुरु द्वारा की जाती है। जहां गुरु कुछ शिष्यों के साथ रहते हैं और आजन्म कुवांरे रहकर भक्ति में लीन रहते हैं।
इसके आगे भाग-4…………
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