विविध

अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर Diwali के बाद होगी सुनवायी

नई दिल्ली। उच्चतम न्यायालय ने जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार देने वाले संविधान के अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर Diwali के बाद सुनवायी करने की स्वीकृति आज दे दी। प्रधान न्यायाधीश जे.एस. खेहर की अध्यक्षता वाली पीठ ने जम्मू-कश्मीर सरकार के आवेदन को स्वीकार कर लिया कि अनुच्छेद 35ए को चुनौती देने वाली याचिकाओं पर दीवाली के बाद सुनवायी की जाए। प्रधान न्यायाधीश सहित न्यायमूर्ति दीपक मिश्रा और न्यायमूर्ति डी.वाई. चन्द्रचूड़ की पीठ के समक्ष पेश हुए वरिष्ठ वकील राकेश द्विवेदी और वकील शोएब आलम ने कहा कि केन्द्र को दीवाली के बाद याचिकाओं पर सुनवायी को लेकर कोई आपत्ति नहीं है।

पीठ ने कहा, ‘‘सभी याचिकाओं पर दीवाली के बाद सुनवायी होगी।’’ इससे पहले न्यायालय ने इस मामले की सुनवायी पांच न्यायाधीशों की पीठ द्वारा किये जाने का समर्थन किया था, यदि यह अनुच्छेद संविधान के अधिकार क्षेत्र से बाहर है या इसमें कोई प्रक्रियागत खामी है। न्यायालय ने कहा कि तीन न्यायाधीशों की पीठ मामले की सुनवायी करेगी और फिर इसे पांच न्यायाधीशों की पीठ के पास भेजेगी। न्यायालय चारू वली खन्ना की ओर से संविधान के अनुच्छेद 35ए और जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रावधान छह को चुनौती देने वाली याचिका पर सुनवायी कर रहा था। दोनों प्रावधान जम्मू-कश्मीर के ‘‘स्थाई निवासियों’’ से जुड़े हुए हैं।

याचिका में कुछ विशेष प्रावधानों को चुनौती दी गयी है जैसे… राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला को संपत्ति का अधिकार नहीं मिलना। इस प्रावधान के तहत राज्य के बाहर के किसी व्यक्ति से विवाह करने वाली महिला का संपत्ति पर अधिकार समाप्त हो जाता है, इतना ही नहीं उसके बेटे को भी संपत्ति का अधिकार नहीं मिलता। संविधान में 1954 में राष्ट्रपति आदेश से जोड़ा गया अनुच्छेद 35ए जम्मू-कश्मीर के स्थाई निवासियों को विशेषाधिकार और सुविधाएं देता है। यह राज्य विधायिका को यह अधिकार देता है कि वह कोई भी कानून बना सकती है और उन कानूनों को अन्य राज्यों के निवासियों के साथ समानता का अधिकार और संविधान प्रदत अन्य किसी भी अधिकार के उल्लंघन के तहत चुनौती नहीं दी जा सकती है।

याचिका में कहा गया है, ‘‘जम्मू-कश्मीर के संविधान के प्रावधान छह एक महिला के अपनी मर्जी से विवाह करने के मूल अधिकार को प्रतिबंधित करता है, क्योंकि वह स्थाई निवासी प्रमाणपत्र धारक व्यक्ति से इतर किसी से विवाह करने पर संतत्ति को संपत्ति का अधिकार समाप्त कर देता है।’’ उसमें कहा गया है, ‘‘महिला के बच्चों को स्थाई निवासी प्रमाणपत्र नहीं मिलता है, ऐसे में वह कानून की नजर में अस्वीकार्य हो जाते हैं…. महिला यदि जम्मू-कश्मीर की स्थाई निवासी है, उसके बावजूद उसे संपत्ति पर कोई अधिकार नहीं मिलता।’’ जम्मू-कश्मीर के अस्थाई निवासी प्रमाणपत्र धारक लोकसभा चुनावों में तो मतदान कर सकते हैं, लेकिन उन्हें स्थानीय चुनावों में मतदान का अधिकार नहीं होता है।

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

https://www.baberuthofpalatka.com/

Power of Ninja

Power of Ninja

Mental Slot

Mental Slot