वन्दे मातरम
A-Revolutionary-राजेंद्रनाथ लाहिड़ी
मजिस्ट्रेट ने कहा हां बेशक आप समय ले सकते हैं। कोई जल्दबाजी नहीं है। हम इंतजार कर लेंगे। लाहिड़ी ने दैनिक व्यायाम करने के बाद कपड़े पहन कर मजिस्ट्रेट को सूचित किया कि वह चलने के लिए तैयार हैं। एक वार्डन उन्हें लेने आया।
वह उन्हें हथकडिय़ा लगाने लगा लेकिन मजिस्ट्रेट ने उसे रोक दिया। मजिस्ट्रेट ने कहा-यदि आप बुरा न मानें तो क्या मैं आपसे एक सवाल पूछ सकता हूं? लाहिड़ी ने उत्तर दिया-कृपया पूछिए।
मैं एक बात नहीं समझ सका। आप नहाये, पवित्र ग्रंथ का पाठ किया, भगवान की पूजा की। यह सब तो ठीक था,लेकिन आपने व्यायाम क्यों किया? इसकी क्या जरूरत थी?
लाहिड़ी ने मजिस्ट्रेट को जवाब दिया-इसकी बहुत ज्यादा जरूरत थी। भारतीय पुनर्जन्म में विश्वास रखते हैं। मैं खुद को स्वस्थ और ताकतवर रखना चाहता हूं ताकि अगले जन्म में भी मैं ऐसा ही जन्म लूं और विदेशियों से अपने देश को आजाद कराने के लिए अपना बलिदान दे सकूं।
मैं आशा करता हूं कि आप अपने देशवासी के इस अंतिम संदेश को समझ गए होगें। मजिस्ट्रेट सन्न रह गया और अपनी नज़र नीचे झुकाए रहा। फांसी से लटकने के पहले राजेंद्रनाथ लाहिड़ी के अंतिम शब्द थे, भारत माता की जय, हिन्दुस्तान रिपब्लिकन आर्मी अमर रहे, वंदेमातरम्।
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