धोखा-धड़ी
GST के नाम पर कस्टमर को लूटते रेस्टोरेन्ट ओनर्स
GST (गुड्स एंड सर्विसेस टैक्स) काउंसिल ने 211 आइटम्स पर टैक्स-स्लैब में कमी की है। इसमें सबसे ज्यादा चर्चा रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) में खाने पर टैक्स में कटौती को लेकर है। अब रेस्टोरेंट में 18 की जगह 5 परसेन्ट टैक्स ही लगेगा।
दरअसल काउन्सिल का मानना है कि रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) इनपुट टैक्स क्रेडिट(आईटीसी) का बेनिफिट कस्टमर्स को नहीं दे रहे थे। इसलिए इनपुट टैक्स क्रेडिट को वापस ले लिया गया है। वहीं,रेस्तरां मालिक काउन्सिल के इस फैसले की आलोचना कर रहे हैं।
एनआईएस टीम का मत है कि-काउन्सिल का मत बिल्कुल सही है। रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) वाले कस्टमर्स को एकदम चूस रहे हैं। वे अपने तो इनपुट क्रेडिट का लाभ लेना चाहते हैं, लेकिन ये लाभ कस्टमर को नहीं देना चाहते।
कस्टमर जब उनसे कहता है कि टैक्स इनवाइस में हमारा जीएसटी नम्बर भी डालकर हमें इनवाइस दें। तो कहते हैं कि हमारा साफ्टवेयर ऐसे ही बिल निकालता है। हम आपका नम्बर कहॉं डालें?
सारे रेस्टोरेंट (Restaurant-Owners) मालिक इसी नक्से कदम पर चल रहे हैं। छब्बीस रूपये किलो के आटे की रोटी कोई पचास रूपये में बेच रहा है, तो कोई पचहत्तर और सौ रूपये में, लेकिन सारा खेल जीएसटी में ही करेंगे।
दरअसल इनकी आदत ट्रेड टैक्स और वैट ने बिगाड़ दी। तब ये कस्टमर से तो साराकुछ वसू्लते थे लेकिन सरकार को ना देकर स्वंय हजम कर जाते थे। चैकिंग में पकड़ में ही नहीं आते थे। कभी-कभार पकड़ में भी आये तो अधिकारियों को खिला पिलाकर सब बराबर कर लेते थे।
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