पंचतंत्र
PanchTantra-टका नहीं तो टकटका भाग-1
पिछले अंक, PanchTantra-टका नहीं तो टकटका में आपने पढ़ा कि……….
धन दौलत के खूब बढ़ जाने के बाद आदमी के जो काम जहां हैं वहीं उसी तरह सधते चले जाते हैं। जैसे पहाड़ों की ऊंचाई या संपन्नता के कारण जलधाराएं अपने आप फूट निकलती हैं।…….
इससे आगे भाग-1 में पढ़िए….
धन की महिमा कुछ ऐसी है कि इसके लिए गधे को भी बाप कहना पड़ता है, जिसका मुंह नहीं देखना चाहिए उसके तलवे सहलाने पड़ते हैं। जहां नहीं जाना चाहिए, वहां भी जाना पड़ता है। जिसका नाम नहीं लेना चाहिए उसकी खुशामद करनी पड़ती है।
पेट भरता है तो शरीर के एक-एक अंग को अपने आप भोजन मिल जाता है, उसमें ताकत आ जाती है और वह अपना काम अच्छी तरह करने लगता है। इसी तरह धन पास हो तो सभी काम सध जाते हैं। धन को तो सर्वसाधन कहा ही जाता है। इस संसार में धन के लिए आदमी श्मशान तक में पड़ा रहता है।
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