पंचतंत्र
PanchTantra-कान भरने की कला भाग-13
उनके बीच सुमित नाम का एक सचिव था। उसने कहा, इस जिंदगी का क्या, आज है कल नहीं। व्याकरण और भाषाशास्त्र का ज्ञान प्राप्त करने में ही लंबा समय लग जाएगा।
इसलिए इनका मानसिक विकास करने के लिए किसी संक्षिप्त शास्त्र का विषय में विचार कीजिए। कहा भी गया है, शब्दशास्त्र का पार कोई पा ही नहीं सकता। जिंदगी छोटी है और उसमें भी रोग व्याधि आदि की बहुत सी रुकावटें आती रहती हैं।
इसलिए जैसे हंस पानी को छोड़ कर केवल दूध पी लेता है उसी तरह फालतू बातों को छोड़कर सार की बातें ही सीखनी चाहिए।
अनंतपारं किल शब्दशास्त्रं स्वल्पं तथायुर्बहवश्च विघ्ना:।
सारं ततो ग्राह्यपास्य फल्गुं हंसैर्यथा क्षीरमिवांबु मध्यात्।
उस मंत्री को विष्णुशर्मा नाम के उस पंडित का पता था जो सभी शास्त्रों का जानकार था और छात्रों के बीच बहुत लोकप्रिय था। सुमित ने सुझाव दिया कि राजा ( King ) अपने बच्चों को उसी को सौंप दे। वह गधों को घोड़ा और घोड़ों को आदमी बनाने की कला जानता है।……….
इससे आगे भाग-14 में पढ़िए…
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