पंचतंत्र
PanchTantra-कान भरने की कला भाग-10
एक दिन वह इस बात को लेकर, सोच में डूबा हुआ था कि उसने सोचा। सोचने का सारा काम वह अकेला ही क्यों करे। उसकी सभा में पांच सौ गुणी-ज्ञानी लोग उसी के दान और मान पर पल रहे हैं। क्यों न उनके सामने इस समस्या को रखा जाए। आखिर वे किस दिन काम आएंगे।
यह विचार आते ही राजा ने सभा बुलाई और अपनी समस्या उसके सामने रखी। राजा अमरशक्ति ने भरे गले से अपने सचिवों से कहा आप लोगों को यह तो मालूम ही है कि मेरे लड़के अनपढ़ और चंट निकल गए हैं।
सचिवों को यह बात मालूम थी। राजकुमार जैसे थे वैसा बनाने में उनमें से कुछ का सहयोग भी था। वे चाहते थे कि राजा उनमें से जो भी बने पर राजा बनने के बाद वह सारा काम उनके ही ऊपर छोड़ कर वह नाच-तमाशा देखता, शराब पीता, रंगरेलियां मनाता और जब तक कुछ उल्टे सीधे हुक्म देता एक ओर पड़ा रहे।
……….इससे आगे भाग-11 में पढ़िए…
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