विविध
nipah virus से लखनऊ में दहशत
अधिकतर मरीजों की मौत फेफड़े की कार्यक्षमता पर प्रभाव पड़ने से होती है। इसके अलावा कुछ लोग इंसेफ्लाइटिस की चपेट में आ जाते हैं। इस वायरस की चपेट में आने के बाद बहुत से मरीजों को इलाज के दौरान आईसीयू व वेंटीलेटर की जरूरत पड़ती है।
nipah virus चमगादड़ से होता है। सूअर व पालतू जानवर मनुष्यों में बीमारी फैलाने के बीच की कड़ी हैं। यह वायरस पहली बार मलेशिया के nipah में 1998 में फैला था।तभी से इस वायरस का नाम nipah virus रख दिया गया है।
वहीं, भारत में पहली बार 2001 में पश्चिम बंगाल में यह बीमारी फैली थी। इसके अलावा 2001 में ही बांग्ला देश में हपाम ट्री से बनी शराब के पीने से फैली थी। उन्होंने बताया कि यह बीमारी एक मरीज से दूसरे मरीज में फैल सकती है। इस बीमारी से संक्रमित 40 से 75 प्रतिशत मरीजों की मौत हो जाती है।
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