ट्रिगर न्यूजसाइबर संवाद

नेट न्यूट्रेलिटी के पक्ष में TRAI का फैसला

फरवरी 2016 में फेसबुक, इंटरनेट ओआरजी और एयरटेल जीरो ने कुछ वेबसाइटों को मुफ्त में चलाने की सुविधा दी थी। ट्राई ने कंपनियों को ऐसा करने से रोक दिया था। इसके बाद इस साल जनवरी में ट्राई ने परामर्श पत्र लाकर उपभोक्ताओं से नेट न्यूट्रैलिटी पर राय मांगी थी।

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नेट न्यूट्रेलिटी (इंटरनेट तटस्थता) वह सिद्धांत है, जिसके तहत माना जाता है कि इंटरनेट सेवा प्रदाता या टेलीकॉम कंपनी को हर तरह के डाटा को एक जैसा दर्जा देना होगा। अलग-अलग वेबसाइट, सेवा या इंटरनेट कॉलिंग के लिए अलग कीमत नहीं वसूली जा सकती है।

कंपनियां न किसी सेवा को प्रतिबंधित करें, न किसी की स्पीड घटाएं या बढ़ाएं। इसे यूं समझें कि अलग-अलग ब्रांड की कार से पेट्रोल की कीमत अलग-अलग नहीं वसूली जा सकती।

व्हाट्सएप जैसी सेवाओं ने एसएमएस को काफी नुकसान पहुंचाया है। इससे टेलीकॉम कंपनियों का राजस्व कम हो रहा है। वहीं स्काइप जैसी सेवाओं की वजह से कॉलिंग प्रभावित हो रही है। कंपनियों का यह भी कहना है कि उन्होंने हजारों करोड़ खर्च कर अपना नेटवर्क तैयार किया।

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