चार चुनौतियों में फेल मोदी सरकार-प्रमोद तिवारी
कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा है कि पिछले साल वर्ष 2019 में जब से मोदी जी की सरकार बनी है-चार चुनौतियॉं उन्हें मिली और वे चारों में पूरी तरह फेल हो गये।
1. आर्थिक मोर्चे पर।
2. भारत-चीन सीमा विवाद।
3. बेरोजगारी।
4. कोरोना।
मोदी जी की अदूरदर्षिता और अक्षमता तथा पूंजीपतियों की तिजोरी भरने के चक्कर में इन चारों मुद्दों पर वे पूरी तरह असफल साबित हुये हैं।
भारतीय जनतापार्टी के शासनकाल में प्रदेश की कानून व्यवस्था पूरी तरह ध्वस्त हो चुकी है और अपराध निरंतर बढ़ते जा रहे हैं। ऐसा प्रतीत होता है कि प्रदेश में चारो तरफ ‘‘जंगलराज’’ कायम हो गया है। सामूहिक हत्या, महिलाओं के साथ सामूहिक बलात्कार, बच्चों के खिलाफ अपराध कम होने की बजाय दिन प्रतिदिन बढ़ते जा रहे हैं।
तिवारी ने कहा है कि कानपुर में घटी घटना पुलिस और सत्तारूढ़ दल के नेताओं के गठजोड़ का दुःखद प्रकरण है, और प्रदेश की कानून व्यवस्था की जर्जर स्थिति को बयां करने के लिये यह घटना पर्याप्त है। अपने कर्तव्य का पालन करते हुये कानपुर में 8 पुलिस कर्मी शहीद हो गये, जिसमें जनपद प्रतापगढ़ के थाना मानधाता के अंतर्गत ग्राम बेलखरिया निवासी उप निरीक्षक अनूप सिंह भी शहीद हो गये।
शहीद होने वाले सभी पुलिस के जवानों को शत-शत नमन। और जो पुलिसकर्मी घायल हैं, उनका देश के जिस हिस्से में भी इलाज हो सके उन्हें ‘‘एयर लिफ्ट’’ करके उनका उपचार कराना चाहिए।
कर्तव्यपालन करते हुये शहीद होने वाले सभी पुलिसकर्मियों को ‘‘शहीद का दर्जा’’ दिया जाय, तथा शहीद को मिलने वाली सभी सुविधायें प्रदान की जायें।
प्रत्येक शहीद के परिवार को दो-दो करोड़ की आर्थिक सहायता प्रदान की जाय, तथा उनके गॉंव में उनके नाम पर किसी मार्ग का, अथवा किसी सरकारी विद्यालय या सार्वजनिक स्थल का नामकरण किया जाय। सरकारी खर्चे पर शहीदों के बच्चों को पढ़ाया जाय, जहॉं तक वे पढ़ना चाहें।
शहीद के परिजनों के लिये यदि कोई नियम आड़े आ रहा हो तो उसे शिथिल किया जाय, जैसे 5 या 7 साल के अंदर आश्रित को नौकरी देना संभव न हो पा रहा हो तो उस आश्रित के बालिग होने/ योग्य होने तक प्रतीक्षा करनी चाहिए।
इस तरह की दुःखद घटना की पुनरावृृत्ति न हो इसके लिये एक ‘‘आयोग’’ का गठन किया जाय।
मा. उच्च न्यायालय से प्राप्त जानकारी के अनुसार 31 जनवरी, 2020 तक उत्तर प्रदेश में एक भी ‘‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’’ का गठन नहीं हुआ है। प्रस्ताव के अनुसार उत्त्तर प्रदेश में अधिकतम 218 ‘‘फास्ट ट्रैक कोर्ट’’ का गठन हो सकता है।
छब्त्ठ क्राइम का आंकड़ा एक तरह से अपराध का आइना होता है जिसके माध्यम से यह ज्ञात होता है कि कितनी संख्या में किस तरह का अपराध हो रहा है, जिससे अपराध की रोकथाम की जा सके। सरकार द्वारा वर्ष 2018 के बाद का छब्त्ठ डाटा ही नहीं जारी किया गया है । छण्ब्ण्त्ठ की रिपोर्ट के मुताबिक देश में महिलाओं के खिलाफ होने वाले अपराधों में वर्ष 2016 से 2018 तक 21 प्रतिशत की बढ़ोत्तरी हुई है।
वर्ष 2016 में उत्तर प्रदेश में 49262, वर्ष 2017 में उत्तर प्रदेश में 56011 तथा वर्ष 2018 में 59445 अपराध महिलाओं के साथ घटित हुये। इसी प्रकार से बलात्कार के मामले में वर्ष 2018 में 18 साल से कम उम्र की बच्चियों के साथ 1411 घटनायें हुई, अर्थात लगभग 4 घटनायें प्रतिदिन। और 18 साल से अधिक आयु की युवतियों के साथ 2911 घटनायें हुई, अर्थात लगभग 8 घटनायें प्रतिदिन। कुल मिलाकर 4322 बलात्कार की घटनायें साल 2018 में हुई, यानी लगभग 12 घटनायें प्रतिदिन हुई। 04 मार्च, 2020 को कानून तथा न्याय मंत्रालय ने लोक सभा में लिखित उत्तर दिया कि 31 दिसम्बर 2019 तक उत्तर प्रदेश में बलात्कार के कुल 66,994 मामले लम्बित हैं।
इसी तरह बच्चों के विरुद्ध वर्ष 2016 में 16079 मामले, वर्ष 2017 में 19145 तथा वर्ष 2018 में 19936 मामले सामने आये। अर्थात 54 घटनायें प्रतिदिन घटित हुई। वर्ष 2018 में उत्तर प्रदेष में कुल 4437 हत्यायें हुई, अर्थात 12 हत्यायें प्रतिदिन हुई।
छण्ब्ण्त्ठ की रिपोर्ट के मुताबिक दलितों के खिलाफ होने वाले देश के अपराधों में एक तिहाई अपराध मात्र उत्तर प्रदेश में होते हैं। आकड़े के अनुसार वर्ष 2016 में 10426, वर्ष 2017 में 11444 तथा वर्ष 2018 में 11924 घटनायें दलितों के खिलाफ उत्तर प्रदेश में हुई।
तिवारी ने कहा है कि देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या में दिन प्रतिदिन बेतहासा वृृद्धि हो रही है, आज कोरोना संक्रमितों की संख्या बढ़कर 7,94,842 (लगभग 8.00 लाख आठ लाख) हो गयी है, जो गम्भीर चिन्ता का विषय है। उत्तर प्रदेश में लगभग 1000 से अधिक (एक हजार) तथा देश में लगभग 25000 से भी अधिक (पच्चीस हजार) कोरोना संक्रमितों की संख्या प्रतिदिन बढ़ रही है।
ये हालात तो तब हैं जब लगभग 1 प्रतिशत टेस्टिंग हो रही है, यदि टैस्टिंग बढ़ा दी जाय तो और भी अधिक विस्फोटक स्थिति सामने आयेगी। जुबानी खर्च तो बहुत हो चुका किन्तु केन्द्र एवं प्रदेश सरकार कोरोना महामारी से बचाव के लिये कोई सकारात्मक कदम नहीं उठा रही है- आत्म निर्भर बनने की सलाह देकर आदरणीय प्रधानमंत्री जी ने देश की जनता को ‘‘राम भरोसे’’ छोड़ दिया है।
रोजगार के मामले में उत्तर प्रदेश सरकार विस्थापित मजदूरों और बेरोजगार नौजवानों को रोजगार देने में पूरी तरह असफल साबित हो रही है। किसान, मजदूर, रोज कमाने-खाने वाले तथा रेड़ी लगाने वाले लोगों को प्रथम माह में 10,000 रुपये और जब तक कोरोना की महामारी रहे तब तक इन्हें रु. 7,500 प्रतिमाह ‘‘न्याय योजना’’ के अंतर्गत दिया जाये, जिससे इनके परिवार का भरण पोषण होता रहे।
तिवारी ने पुनः जनता से विनम्र अपील की है कि शासन प्रशासन द्वारा सुझाये गये निर्देशों का पूर्णतः पालन करें, जब भी घर से बाहर निकलें तो ‘‘मास्क’’ अवश्य लगाकर निकलें, और सोशल डिस्टेंसिंग का पूरी तरह से पालन करें, जिससे कोरोना के संक्रमण को फैलने से रोका जा सके।
प्रमोद तिवारी
Pramod Tiwari
Ex. MP(Rajya Sabha)
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