एनालिसिस
भाजपा को Warning और कांग्रेस को Lesson
वैसे भी लोकतंत्र में बाजीगरी की कहानी अतिरेक की श्रेणी में आती है। लोकतंत्र में केवल सीटों की संख्या का गणित ही लगाया जाता है, पहले से कितनी सीटें ज्यादा आईं। अथवा हारने के बाद भी आपके वोट प्रतिशत मेेेें कितने गुने का बेइंतहा इजाफा हुआ, इसका कोई लेना देना, सत्ता पर काबिज होने से नहीं है।
गुजरात चुनाव के परिणामों ने यह बात तो जाहिर कर दी है कि भाजपा जैसी जीत चाहती थी, वैसी नहीं मिली। लेकिन, इसके विपरीत कांग्रेस को भी जैसे प्रदर्शन की उम्मीद थी, वैसा भी नहीं हुआ। भाजपा की पहले के मुकाबले कमजोर सरकार और कांग्रेस की प्रभावशाली हार ने दोनों ही दलों के कार्यकर्ताओं को उछलने-कूदने का अवसर प्रदान किया है।
गुजरात के परिणाम जहॉं एक ओर भाजपा के लिए खतरों भरा आमंत्रण है, वहीं दूसरी ओर कांग्रेस के लिए भी एक बहुत बड़ा सबक है। सबक इसलिए माना जाना चाहिए, क्योंकि यह सिद्ध हो चुका है कि आज की राहुल गांधी वाली कांग्रेस में उतनी ताकत नहीं है, जो अकेले रहकर भाजपा का मुकाबला कर सके।
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