पंचतंत्र के बेकार का पचड़ा भाग-7 में आपने पढ़ा कि ……..
जो कुछ उस समय मैंने सुना और जाना था उसका सारांश मैं तुम्हें बताता हूॅ। कम से कम इसे तो गांठ बांध ही लो। दमनक (Damanak) बोला, यह दुनिया ऐसी है जिसमें जिधर देखो, उधर सोने के फूल खिले हैं। पर तीन ही लोग हैं जो इन फूलों को चुन सकते हैं। ये हैं वीर पुरूष, विद्वान और सेवा-
टहल का मर्म जानने वाले।
अब इससे आगे पढ़िए, भाग-8…………
अब जैसी कि तुम्हारी आदत है, तुम पूछोगे कि सेवा कहते किसे हैं? तो यह समझ लो कि जिस काम से राजा (King) का हित होता है और विशेषत: जो काम राजा (King) करने को कहे, उसे करना ही सेवा है।
आज्ञापालन और जी-हुजूरी ही इसकी कसौटियां हैं। आम लोग तो ऐसा करते ही हैं पर विद्वान लोग जरा अकड़ में रहते हैं कि मुझे तो जो ठीक लगेगा वही कहूंगा, राजा (King) को अच्छा लगे या बुरा।
Related Posts