एनालिसिस
न्याय तो Judiciary में भी ढ़ूंढे नहीं दिख रहा
चार जजों की ओर से उठाए गए मुद्दे मुख्य न्यायाधीश को भले ही बड़े ना लगे हों, लेकिन उन्हें उन पर ध्यान देना चाहिए था। मेडिकल कॉलेज से जुड़े एक घोटाले में उड़ीसा हाईकोर्ट के पूर्व न्यायाधीश आइoएमo कुद्दुसी के शामिल होने पर सीoबीoआईo ने छापेमारी भी की।
लेकिन जस्टिस चेलमेश्वर के फैसले को पांच सदस्यीय खंडपीठ ने यह कहकर उलट दिया कि काम की सूची में नाम डालने का अधिकार भारत के मुख्य न्यायाधीश को है और सिर्फ वह ही किसी खंडपीठ को कोई मामला सौंप सकते हैं।
कहा जा रहा है कि हाल के दिनों में सर्वोच्च न्यायालय में खंडपीठों का गठन संविधान में लिखे के खिलाफ हुआ है। संविधान इस बारे में एकदम स्पष्ट है कि संवैधानिक मामले पांच जजों की खंडपीठ में सुने जाएंगे, लेकिन हाल के दिनों में हुआ यह है कि इसे दो या तीन जजों की खंडपीठ को भेजा गया है।
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