एनालिसिस
चीफ जस्टिस के विशेषाधिकार से ही नाराज थे चारों Justice
इन चारों Judges ने यह भी बयान किया कि हम इस मामले में चीफ जस्टिस के पास गए थे, लेकिन वहां से खाली हाथ लौटना पड़ा। ये भी बड़ा गंभीर विषय है कि उच्चतम न्यायालय के ही चार वरिष्ठ Judges की बात मुख्य न्यायाधीष ने नहीं सुनी। जबकि ऐसा है नहीं। दरअसल ये Judges संविधान पीठ गठन में इन चारों के नाम ना होने की वजह से नाराज थे।
इन्हीं Judges का यह भी कहना रहा कि मुख्य न्यायाधीष हम सब Judges में से ही एक हैं ना हमसे सीनियर, ना हमसे जूनियर। इसका सीधा सा मतलब निकला कि सुप्रीम कोर्ट के सारे न्यायाधीष एक समान हैं। ना कोई जूनियर है और ना ही सीनियर। भले ही सीजेआई नम्बर एक पर हैं अथवा ये चारों नं0 दो.तीन.चार और पांच पर।
सुप्रीम कोर्ट में 25 न्यायाधीष हैं। उन्हीं के कहेनुसार 25वें नम्बर के जज भी इन्हीं के बराबर हैं। फिर ये चारों Judges, मुख्य न्यायाधीष के इस अधिकार को किस बिना पर चुनौती दे रहे हैं कि उन्होंने दिवंगत जस्टिस लोया के केस को वरिष्ठताक्रम में उनसे नीचे के जज को आवंटित कर दिया?
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