एनालिसिस
चीफ जस्टिस के विशेषाधिकार से ही नाराज थे चारों Justice
अदालत के सामने एक केस होता है, जिस पर न्यायालय दोनों पक्षों को सुनने के बाद अपना फैसला सुनाता है। पेश किये गये तथ्यों और उस पर दोनों पक्षों के तर्कों को सुनने के बाद कानून में नीहित प्राविधानों के मद्देनजर, अदालत जजमेन्ट देती है। अब किसको न्याय मिला नहीं मिला ये सब गौण है।
शुक्रवार को उच्चतम न्यायालय के चार वरिष्ठ Judges द्वारा पता नहीं किस मजबूरी अथवा उददेश्य के तहत एक संवाददाता सम्मेलन बुलाया और एक संयुक्त पत्र जारीकर देश की सबसे बड़ी अदालत के मुख्य न्यायाधीष पर न्यायसम्मत तरीके से कार्य न करने की बात कही।
उन्होंने मुख्य न्यायाधीष के प्रशासनिक अधिकार की ओर उंगली उठाते हुए कहा कि मुख्य न्यायाधीष अपने इस अधिकार का सही इस्तेमाल नहीं कर रहे हैं। उन चारों का कहना रहा कि अगर हम आज उच्चतम न्यायालय की मौजूदा स्थिति के खिलाफ न खड़े होते तो अब से 20 साल बाद समाज के कुछ बुद्धिमान व्यक्ति यह कहते कि हम चार Judges ने ‘अपनी आत्मा बेच’ दी थी।
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