विविध

मोदी-राजनाथ कश्मीर में शांति के लिए कदम उठा रहेः महबूबा

श्रीनगर। जम्मू कश्मीर की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती का कहना है कि आतंकवाद प्रभावित राज्य में अब शांति की कोंपलें फूटने लगी हैं और सरकार अब यह सुनिश्चित करने में लगी है कि राज्य के लोग सम्मानजनक जीवन जी सकें। 58 वर्षीय मुख्यमंत्री ने कश्मीरियों तक पहुंच बनाने के केन्द्र और सत्तारूढ़ पार्टी के हाल के प्रयासों की सराहना की। उन्होंने इस सिलसिले में सबसे पहले प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के स्वतंत्रता दिवस पर लाल किले की प्राचीर से दिए गए भाषण का जिक्र किया, जिसमें उन्होंने देशवासियों से कहा था कि वह कश्मीरियों को गले लगाएं।

इसके बाद गृह मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि केन्द्र सरकार सभी पक्षों से बातचीत की इच्छुक है और फिर भाजपा नेता राम माधव ने कहा कि किसी के साथ भी बातचीत की जा सकती है। रविवार को प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने आकाशवाणी पर अपने मन की बात कार्यक्रम में एक बार फिर गरीब कश्मीरी युवक बिलाल डार का जिक्र किया और एक झील की सफाई करने के उसके प्रयासों की सराहना की। यह कश्मीर में पहले पन्ने की खबरें बनीं और सोशल मीडिया पर भी इन पर खूब चर्चा हुई।

मुख्यमंत्री ने कहा, कश्मीर घाटी में, जहां लोग शांति की वापसी का बड़ी बेसब्री से इंतजार कर रहे हैं ‘‘यह सब संकेत स्वागत योग्य हैं।’’ अपने आवास पर अपने पिता मुफ्ती मोहम्मद सईद की बड़ी सी तस्वीर के आगे बैठीं महबूबा ने उम्मीद भरे स्वर में कहा, ‘‘अमन की कोंपलें अब फूटने लगी हैं। अब इन्हें सींचने और सहेजने की जरूरत है, और मुझे विश्वास है कि शांति के फल आने लगेंगे।

जनवरी 2016 में अपने पिता के निधन के बाद मुख्यमंत्री का पद संभालने वाली महबूबा ने इलेक्ट्रानिक मीडिया को इस बात के लिए कोसा कि वह हिंसा की जरा सी बात को राष्ट्रीय घटना बना देता है और ऐसा दिखाता है जैसे पूरा कश्मीर जल रहा है।

राज्य में भाजपा के साथ गठबंधन सरकार का नेतृत्व करने वाली महबूबा कहती हैं गर्मागर्म बहस के बाद कश्मीरियों को गालियां दी जाती हैं। इससे कश्मीरी बाकी देश से कटने लगे हैं और देश के लोग कश्मीर के खिलाफ हो रहे हैं, जिसका राज्य के पर्यटन और अर्थव्यवस्था पर बुरा असर हो रहा है।

महबूबा, जो पर्यटन मंत्रालय का जिम्मा भी संभाल रही हैं, को हर शाम पर्यटकों की आमद के बारे में एक रिपोर्ट दी जाती है और आंकड़े लगातार कम होते जा रहे हैं। अब यह आंकड़ा 4,000 से 5,000 के बीच रह गया है, जो कभी 10,000 से 12,000 तक हुआ करता था। ज्यादातर होटल और हाउसबोट खाली हैं, टैक्सी चलाने वालों के पास कोई काम नहीं है और दुकानें बंद हैं। महबूबा कहती हैं कि घाटी की 70 लाख की पूरी आबादी को उग्रवादियों का हिमायती बताना गलत है जबकि खुफिया आंकड़े बताते हैं कि सिर्फ 200 से 300 स्थानीय उग्रवादी हैं।

उन्होंने कहा, ‘‘आप तकरीबन 200 उग्रवादियों की बात तो करते हैं, लेकिन भारतीय सेना में शामिल हजारों कश्मीरियों के बारे में कुछ नहीं कहते। हालांकि वह इस बात से इंकार नहीं करतीं कि कश्मीरी युवक और यहां तक कि आठ साल की उम्र के छोटे बच्चों में भी खुद को अलग थलग मानने की भावना है। इसकी वजह वह घाटी में सुरक्षा बलों के अभियानों और पत्थरबाजी की घटनाओं को बताती हैं।

उनके अनुसार शीर्ष स्तर से हाल में आए कुछ ब्यानात से अमन कायम करने और कश्मीरियों को उनका खोया सम्मान लौटाने का अवसर मिला है। ‘‘अब जरूरत इस बात की है कि पूरे सम्मान और गरिमा के साथ उनका (कश्मीर की जनता का) हाथ थाम लिया जाए।’’ इस सीमावर्ती राज्य की पहली महिला मुख्यमंत्री महबूबा का कहना है कि उनकी सरकार हर किसी के साथ बातचीत के हक में है जैसा भाजपा और पीडीपी के बीच गठबंधन के एजेंडा में कहा गया है।

उन्होंने संकेत दिया कि वह वाजपेयी सरकार द्वारा 2000 के दशक के शुरू में अपनाई गई शांति वार्ता नीति के हक में हैं, जब कश्मीरी पृथकतावादी नेताओं को पाकिस्तान के साथ बातचीत करने की इजाजत दी गई थी और इस दौरान नयी दिल्ली और इस्लामाबाद के बीच भी बातचीत हो रही थी।

उन्होंने गृह मंत्री राजनाथ को ‘‘बड़ा मददगार’’ बताते हुए कहा कि वह लगातार उनसे संपर्क बनाए हुए हैं। उन्होंने कहा, ‘‘अब समस्या पर सीधे प्रहार करने और राज्य में ‘स्थायी शांति’’ लाने का तरीक खोजने की जरूरत है।

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