एनालिसिस

हिन्दुस्तान में IPC चलेगा अथवा रणवीर पेनेल कोड

इसी के बीच सेना की उत्तरी कमान के चीफ लेफ्टिनेंट जनरल देवराज अन्बु ने इस मामले पर कहा है कि-‘हमारा रुख इस बारे में बिल्कुल साफ है कि अगर उकसावे वाली कार्रवाई होती है, तो आत्मरक्षा के लिए हम जवाब देंगे।’ पहले ही सेना के बड़े अधिकारियों ने इस मामले में मेजर लीतुल गोगोई की तरह एफआईआर के घेरे में लाए गए सैनिकों का साथ देने का फैसला किया है।

साथ सेना को ही नहीं पूरी भारत सरकार को देना चाहिए।

मेजर गोगोई के मामले में विवाद के जरिए सवाल उठाने की कोशिश की गई थी, लेकिन ताजा मामले में किसी तरह का कोई संदेह नहीं है। शोपियां में किसी भी मानक प्रक्रिया का उल्लंघन नहीं किया गया है। आखिरकार जब आप निर्दोष भारतीय सैनिकों पर पत्थरबाजी करके उकसावे वाला कृत्य कर रहे हैं, तो उसका जवाब देने और अपनी रक्षा करने का पूरा हक भारतीय सेना के पास सुरक्षित है। सेना, सेना होती है, कोई नपुंशक थोड़े ही होती है। उसकी सहनशीलता को आप नामर्दगी समझेंगे तो उसका अंजाम भी तो आप ही भुगतेंगे।

लेफ्टिनेंट जनरल अन्बु ने कहा, ‘इस केस में एफआईआर की कोई जरूरत नहीं थी। अब जांच के बाद सच सामने आ जाएगा। शोपियां में फायरिंग सिर्फ सेल्फ डिफेंस में की गई। जनरल अन्बु ने यह भी स्पष्ट कर दिया कि इस केस में कोई गिरफ्तारी नहीं होगी, लेकिन मेजर आदित्य से पूछताछ की जा सकती है। उत्तरी क्षेत्र सेना कमांडर के बयान के बाद यह स्पष्ट हो गया है कि सेना पूरी तरह से जवानों के साथ खड़ी है,और खड़ी होनी भी चाहिए।

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