Info. Commission अधिनियम की निगरानी नहीं करता

लखनऊ, ।Info. Commission उत्तर प्रदेश में अपने द्वारा किये गये कार्यों पर एक किताब निकालने जा रहा है। राज्यपाल राम नाईक सोमवार को ’उत्तर प्रदेश सूचना आयोग के बढ़ते कदम’ नामक पुस्तक का विमोचन कर रहे हैं। वहीं कुुछ आरटीआई विशेषज्ञ सूचना आयोग की कार्यशैली पर सवाल उठा रहे हैं। उनका मानना है कि पुस्तक में Info. Commission ने अपने द्वारा किये गए सराहनीय कायों को सहेजकर जनता के बीच अपनी छवि सुधारने का प्रयास किया होगा।
आरटीआई कार्यकर्ता संजय शर्मा ने बीते अप्रैल में आरटीआई दायर करके जानना चाहा था कि यूपी के Info. Commission ने गठन से तब तक की अवधि में सूचना कानून का सही से पालन न करने वाले कितने विभागों अपनी जिम्मेदारी निभाते हुए सिफारिशें भेजीं थीं। जवाब में Info. Commission के जनसूचना अधिकारी तेजस्कर पांडेय ने बताया कि आयोग ने अपने गठन से अब तक आरटीआई एक्ट न मानने वाले किसी भी सरकारी विभाग को कोई भी सिफारिश नहीं भेजी है।
संजय ने बताया कि आरटीआई एक्ट की धारा 25(5) तहत आयोग उन लोक प्राधिकारियों को चिन्हित करे जो अपनी कार्य पद्यति को एक्ट की भावना के हिसाब से नहीं बदल पाए हैं और फिर आयोग इन लोक प्राधिकारियों को सुधारने के लिए उपाय बताते हुए अपनी सिफारिश भेजेगा। संजय ने मुख्य सूचना आयुक्त जावेद उस्मानी को पत्र लिख कर कहा है कि आयोग द्वारा अपनी पुस्तिका छपवाकर विमोचन कराने को जनता के टैक्स के पैसों की बर्बादी है।

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