जन संसद

भारत दुनिया में तीसरे स्थान पर पहुंच गया

कांग्रेस के वरिष्ठ नेता प्रमोद तिवारी ने कहा कि आज सोवियत रूस को पीछे छोड़कर भारत दुनिया में ‘‘तीसरे स्थान’’ पर पहुंच गया है, ये कोई शक्ति, विकास या सम्पन्नता में नहीं-बल्कि कोरोना संक्रमितों में हमने सोवियत रूस को पीछे छोड़ा है, इसलिये यह खुशी होने का दिन नहीं बल्कि दुःखी होने का दिन है। कोरोना संक्रमण में सोवियत रूस को पछाड़कर भारत ‘‘तीसरे नम्बर’’ पर आ गया है, और सोवियत रूस ‘‘चौथे नम्बर’’ पर चला गया है।

आज भारत देश में कोरोना संक्रमितों की संख्या लगभग 7.00 लाख से ज्यादा हो गयी है। सोवियत रूस में कुल मृृतकों की संख्या जहॉं लगभग 10,000 (दस हजार) है वहीं भारत में मृृतकों का आंकड़ा लगभग 20,000 (बीस हजार) है। ऐक्टिव केस सोवियत रूस में जहॉं लगभग 2 लाख 20 हजार है,वहीं भारत में लगभग 2 लाख 53 हजार हो गये हैं।

सोवियत रूस में सीरियस संक्रमितों की संख्या जहॉं 2300 (दो हजार तीन सौ) है, वहीं भारत में लगभग 9000 (नौ हजार) है। और यह तब है जब सोवियत रूस में लगभग 2 करोड़ 50 लाख लोगों की टेस्टिंग हुई है और भारत में मात्र 97 लाख लोगों की टेस्टिंग हुई है। यदि हमने 2 करोड़ 50 लाख लोगों की टेस्टिंग की होती तो शायद यह संख्या कई गुना अधिक होती।

श्तिवारी ने कहा है कि मुझे आश्चर्य है कि कोरोना की इतनी विकराल स्थिति बन जाने के बाद भी केन्द्र सरकार कोई ‘‘रोडमैप’’ नहीं बता रही है कि वह आखिर क्या करने जा रही है- सोशल डिस्टेंसिंग और मास्क लगाने का वह उपदेश तो दे रही है परन्तु वह स्वयं क्या कर रही है? ये नहीं बता रही है, जनता को क्या करना चाहिए। इसका उपदेश तो बहुत दे चुकी किन्तु सरकार क्या कर रही है? ये नहीं बता रही है।

मोदी जी! आपसे अनुरोध है कि कोरोना संक्रमण की संख्या जब लगभग 7.00 लाख से अधिक हो गयी है तो अब तो जाग जाइए, ये खतरनाक संदेश है। आखिर यह समय से केन्द्र सरकार के न जागने का ही तो परिणाम है। जब नवम्बर,2019 में चीन के वुहान में कोरोना संक्रमण का जन्म हो चुका था तो जनवरी,2020 में अंतर्राष्ट्रीय उड़ानों पर प्रतिबंध क्यों नहीं लगाया गया?

21 दिन का लाॅकडाउन लगाने के पहले विरोधी दलों के नेताओं से विचार-विमर्श क्यों नहीं किया गया? 21 दिन का लाॅकडाउन लगाने के पूर्व मजदूरों, छात्रों, पर्यटकों और श्रद्धालुओं आदि को सुरक्षित अपने घर आने के लिये 7 दिन का समय क्यों नहीं दिया गया? चलिये ये बीते दिनों की बात हो गयी है, मोदी जी! अब तो आप एक ‘‘रोड मैप’’ ले आईये।

एक अध्ययन से पता चला है कि ज्यादातर वही लोग संक्रमित हो रहे हैं जो कोरोना योद्धा हैं या सरकारी-अर्द्ध सरकारी नौकरी करने वाले लोग हैं, अथवा रोज कमाकर खाने वाले गरीब और साधारण तपके के लोग हैं। अब अनलाॅक-2 शुरू हो गया है तो क्या केन्द्र सरकार काम करने वाले स्थलों की भीड़ कम करने के लिये रु7500 की धनराशि, किसान, मजदूर, रोज कमाने-खाने वाले तथा रेहड़ी लगाने वाले लोगों को ‘‘न्याय योजना’’ के अंतर्गत अगले 6 माह तक देने की घोषणा करेगी? जिससे उन लोगों को अपने घरों से कम निकलना पड़े और कोरोना का संक्रमण भी कम फैले। सरकार इस पर क्यों नहीं ध्यान दे रही है? और इसके लिये कोई कार्यक्रम क्यों नहीं चला रही है?

तिवारी ने कहा है कि सरकार यह न भूले कि गुजरात, महाराष्ट्र, दिल्ली, आगरा (उत्तर प्रदेश) आदि देश के उन्हीं 7 राज्यों में कोरोना संक्रमण का प्रभाव अधिक है जहॉं ‘‘नमस्ते ट्रंप’’ का कार्यक्रम
(2) कराया गया। इन 7-8 राज्यों में यह योजना क्यों नहीं लागू होती? देश में स्थिति दिन-प्रतिदिन भयावह होती जा रही है।

मेरा, केन्द्र सरकार से अनुरोध है कि जनता को आत्म निर्भर बनाने के नाम पर उसे ‘‘राम भरोसे’’ न छोड़ दिया जाय। केन्द्र सरकार भी कोरोना संक्रमण से बचाव के लिये सार्थक पहल करे- क्योंकि एक दिन में उत्तर प्रदेश में लगभग 1000 (एक हजार) और देश में लगभग 25000 (पच्चीस हजार) संक्रमितों का केस बढ़ना गम्भीर चिन्ता का विषय है।

तिवारी ने कहा है कि बदलते मौसम अर्थात बरसात के मौसम में गांव देहात में सर्दी, जुखाम, खॉंसी और ज्वर होना आम बात है, कहीं प्रत्येक व्यक्ति इसे कोरोना न समझे, इसलिये टेस्टिंग बढ़ाई जाय, क्योंकि अभी जो टेस्टिंग हो रही है वह देश की आबादी 1 अरब 32 करोड़ के हिसाब से 1 से भी कम टेस्टिंग है। केन्द्र जागे, मोदी जी! जागिये, और जनता की मदद कीजिये।

कानपुर में अपने कर्तव्य का पालन करते हुये पुलिस उपाधीक्षक, उप निरीक्षक एवं पुलिस कर्मी सहित शहीद होने वाले सभी 8 पुलिसकर्मियों की शहादत को शत-शत नमन। अब तो यह साफ हो गया है कि उत्तर प्रदेश में अपराधियों के हौसले इतने बुलन्द हो गये हैं कि 20-25 सशस्त्र सिपाहियों के दस्ते पर वे हमला कर सकते हैं, तो फिर आम जनता के मन में भय उत्पन्न होना स्वाभाविक है। प्रदेश सरकार जमीनी हकीकत को पहचाने और इस बात का जवाब दे कि 60 अपराधों के आरोपी विकास दुबे को अभी तक पुलिस गिरफ्तार करके जेल क्यों नहीं भेज पाई?

काश! उत्तर प्रदेश सरकार जितना कहती है यदि उतना करती भी तो ये 8 पुलिसकर्मी आज शहीद न हुये होते। जिस तरह प्रयागराज में सामूहिक हत्या हुई, गाजियाबाद में सामूहिक हत्या हुई, तथा जिस तरह सामूहिक बलात्कार की घटनायें हो रही हैं उससे स्पष्ट है कि सिर्फ भाषण की नहीं बल्कि प्रभावी कार्यवाही करने की आवश्यकता है।

आदरणीय प्रधानमंत्री जी आपकी लेह (लद्दाख) यात्रा का मैं स्वागत करता हूं, मुझे भी वहॉं जाने का सौभाग्य बहुत पहले मिला था, बहुत से भारतीय ‘‘लेह’’ जाते हैं क्योंकि समुद्र तल से 3524 मीटर (11562 फिट) की ऊॅचाई पर लद्दाख में बसा हुआ यह सुन्दर शहर है। जहाॅं से पाकिस्तान की सीमा सबसे नजदीक है, गलवान घाटी और अलयावंचीग लगभग 200- 250 किमी दूर है।

काश! थोड़ा समय निकाल कर आदरणीय प्रधानमंत्री जी गलवान घाटी में अग्रिम पंक्ति के सैनिकों के पास भी चले जाते तो सीमा पर लड़ने वाले सैनिकों का मनोबल और साहस बढ़ जाता, और चीन को कड़ा संदेश जाता। परंतु आदरणीय प्रधानमंत्री जी यह समझ नहीं आया कि यू.एस.ए. और यू.के. सहित दुनिया के कई देशों ने भारतीय सेना के 20 सैनिकों के शहीद होने पर जब चीन का नाम लेकर उसकी भर्तसना कर सकते हैं तो फिर आपके भाषण में चीन का जिक्र तक नहीं-ऐसा क्यों?

बात इशारे की नहीं रह जाती, जब हमारे 20 जाॅंबाज सैनिक शहीद हो गये हों, तो बात उनकी शहादत को सम्मान देने की होती है-दोषी को इंगित करके कड़ा संदेश देने की होती है। आपके द्वारा चीन का नाम न लेना भारतीय सेना के मनोबल को गिराने वाला है और ‘‘भारत माता’’ की रक्षा के लिये शहीद हुये 20 सैनिकों की शहादत का अपमान है।

प्रमोद तिवारी
वरिष्ठ नेता, कांग्रेस

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