यानी Impeachment का प्रस्ताव भी तकनीकी सुचिता का प्रश्न ही है। सवाल ये है कि भले टेक्नीकल ग्राउण्ड पर Impeachment खारिज अथवा रद्द हो जाये, लेकिन ऐसा होना ही क्या कम दुर्भाग्यपूर्ण है कि एक मुख्य न्यायाधीश के खिलाफ महाभियोग का नोटिस उपराष्ट्रपति को दिया गया।
यदि ये मान भी लिया जाये कि सारा झगड़ा दिवंगत जस्टिस लोया की संदिग्ध मौत से जुड़ा है तब भी उस पर जॉंच की मांग पर इतना वितण्डा खड़ा करने की आवश्यकता ही क्या थी। सीबीआई जॉंच वो भी एक जस्टिस के लिए किया जाना क्या अपराध है?
यदि सच में उनकी मृत्यू स्वाभाविक थी तो भी और संदिग्ध है तो भी जॉंच से क्या फर्क पड़ने वाला था? यदि उनकी बेटा इसे स्वाभाविक मौत मानता है और बहन अथवा अन्य रिश्तेदार इस पर जॉंच चाहते थे तो इस पर जॉंच से इंकार से ऐसा कौन सा पहाड़ टूट रहा था कि उसे न्यायालय ने प्रतिष्ठा का प्रश्न बना लिया?
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