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नेशनल मेडीकल कमीशन के खिलाफ ताल ठोंकता IMA

ये जितनी बात कह रहे हैं। इसका यदि परीक्षण किया जाये तो ये सारी उलट हैं। भ्रष्टाचार तो अब मचा हुआ है। निजी मेडीकल कालेजों पर सरकार का शिकंजा ना होने के कारण ही मनमानी और अराजकता मची हुई है। इस बिल की आवश्यकता तो दशकों से थी, लेकिन आजतक ऐसी सरकार ही नहीं आई जो इतना सख्त फैसला ले सकती हो। यह बिल निश्चित रूप से जनस्वास्थ्य के लिए लाभकारी साबित होगा।

मरीज को तो ये दो कौड़ी का समझते ही हैं, लेकिन इस बिल पर हड़ताल करने की योजना बनाकर और जबरन उसे असफल बनाने की मंशा से आईएमए ने सिद्ध कर दिया कि ये जो कुछ भी हों, लेकिन डॉक्टर नहीं हो सकते!

IMA ने मंगलवार को 12 घंटे के लिए स्वास्थ्य सेवाएं ठप कर रोष प्रदर्शन करने की घोषणा की है। इससे निजी अस्पतालों में कामकाज ठप होने का अंदेशा है। लेकिन IMA की अंदरूनी राजनीति के चलते बंद खटाई में पड़ सकता है।

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