एनालिसिस

Gujrat चुनाव में नित नये खुलासे

Gujrat विधानसभा चुनाव भारतीय जनता पार्टी और कांग्रेस दोनों के लिये प्रतिष्ठा का प्रश्न बन गये हैं। पिछले चार दशकों से भाजपा गुजरात की सत्ता पर काबिज है। ऐसे में भाजपा जहां सरकार विरोधी हवा के बावजूद गुजरात का किला बचाने के लिये दिन रात एक किये हुए है। वहीं कांग्रेस भी इस बार मोदी और शाह को उनके ही घर में पटखनी देने की सौंगध ले चुकी है। ऐसे में गुजरात चुनाव के दौरान नित नये मामले और खुलासे सामने आ रहे हैं। जो सोचने को मजबूर करते हैं कि…….
 राजेश माहेश्वरी
[email protected]

Gujrat एटीएस ने पिछले दिनों दो लोगों को आतंकी होने के संदेह में अरेस्ट किया। इनमें से एक की पहचान कासिम टिंबरवाला के तौर पर हुई है जो अंकलेश्वर अस्पताल में काम करता था और दूसरा आतंकी उबैद, वकील है। इस गिरफ्तारी के बाद गुजरात के मुख्यमंत्री रूपानी ने कहा कि यह देश की सुरक्षा से जुड़ा गंभीर मुद्दा है।

पटेल की ओर से चलाए जा रहे अस्पताल में काम करने वाला आतंकी पकड़ा गया। पटेल हालांकि अस्पताल के ट्रस्टी पद से इस्तीफा दे चुके हैं, लेकिन इसका पूरा काम अब भी वही देख रहे हैं। अगर आतंकी गिरफ्तार न होते तो बड़ी घटना हो सकती थी, वे यहूदी स्थल पर हमले की साजिश रच रहे थे। आतंकी ने गिरफ्तारी से सिर्फ दो दिन पहले इस्तीफा दिया, इससे शक और गहरा हो जाता है।
गुजरात विधानसभा चुनाव के दौरान हुई गिरफ्तारी और कांग्रेसी कनेक्शन ने फिलवक्त चुनावी माहौल का गर्मा दिया है। इसी की चलते गुजरात विधानसभा चुनाव ने एक नई करवट ली है। बगदादी के आईएसआईएस आतंकी संगठन के एक आतंकी के कांग्रेस के कथित ‘चाणक्य’ अहमद पटेल के साथ संपर्कों पर सवाल उठाए जा रहे हैं।

जिस ‘सरदार पटेल अस्पताल’ के साथ अहमद पटेल का 1979 से सीधा संबंध रहा है, उसमें आतंकी कासिम टिंबरवाला कैसे कर्मचारी बना? उसका वेरिफिकेशन क्यों नहीं कराया गया? अहमद भाई अस्पताल में ट्रस्टी थे और बाद में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी और प्रख्यात कथावाचक मुरारी बापू के एक समारोह में मंच पर सक्रिय दिखे, तो कैसे यह दलील पच सकती है कि 2014 के बाद अस्पताल से अहमद भाई का नाता नहीं रहा?

सवाल तो यह होना चाहिए कि अस्पताल में आतंकी साजिशों की भनक ‘कांग्रेसी चाणक्य’ को क्यों नहीं लगी? आतंकी यहूदियों के एक धर्मस्थल को उड़ाने की साजिश भी रच रहे थे। वे इस अस्पताल या किसी हिंदू धार्मिक स्थल को भी निशाना बना सकते थे! बहरहाल अब सवाल-जवाब के दौरान बहुत कुछ सामने आ सकता है।

दरअसल यह गौरतलब नहीं है कि अहमद पटेल कब तक अस्पताल में ट्रस्टी रहे थे और कासिम कब अस्पताल में लैब कर्मचारी बना। चूंकि अहमद भाई ट्रस्टी के पद से 2014 में इस्तीफा देने के बाद भी अस्पताल में सक्रिय रहे हैं। 23 अक्तूबर, 2016 को राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी गुजरात के प्रवास पर थे, तब अस्पताल में उस मौके पर अहमद भाई को किसने न्योता दिया था? यह भी अहम सवाल है कि राष्ट्रपति को अस्पताल में आने के लिए किसने आग्रह और संपर्क किया था? दरअसल अहमद पटेल ही उस समारोह के बुनियादी मेजबान थे। मुद्दा गुजरात में आईएस आतंकवाद का है।
सवाल राष्ट्रीय सुरक्षा का है। वैसे आतंकियों को संरक्षण देना, आतंकियों की मौत पर सोनिया गांधी के आंसू बहाना और अलकायदा के सरगना रहे लादेन को ‘ओसामा जी’ कहकर संबोधित करना कांग्रेस की संस्कृति और परंपरा रही है। लिहाजा गुजरात में आईएस आतंकियों के मुद्दे पर सोनिया-राहुल गांधी को सफाई देनी चाहिए। जिन्हें ‘गब्बर सिंह टैक्स’ पर चुटकी लेनी आती है, वे आतंकियों-कासिम और उबैद के सच को भी खंगाल कर दिखाएं।

गुजरात एक अपेक्षाकृत शांत राज्य रहा है, लिहाजा गंभीर मुद्दा यह बन गया है कि गुजरात में भी इस्लामिक स्टेट के आतंकियों की दस्तक हो चुकी है। इन आतंकियों के गिरोह और स्लीपर सेल कितना फैल चुके होंगे, अब जांच के बाद सब कुछ सामने आ सकता है। कासिम और उसके साथी उबैद मिर्जा को गुजरात एटीएस ने गिरफ्त में ले लिया है। सवाल-जवाब में आतंकियों की साजिशों के सच बेनकाब हो सकते हैं। कितने नौजवानों को भरमा कर आईएस के इन एजेंटों ने सरगना बगदादी के पास भेजा होगा, शायद उसके भी खुलासे हो जाएं!

वैसे 2014 से ही केंद्र का गुप्तचर ब्यूरो (आईबी) इन आतंकियों का पीछा कर रहा था। संभव है कि फोन कॉल्स, फेसबुक, ट्विटर, इंटरनेट संवादों के भी खुलासे खुलें। इसी दौरान आईबी ने आशंका जताई है कि चुनाव प्रचार के दौरान प्रधानमंत्री मोदी और उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ पर आतंकी हमला किया जा सकता है। पिछली दफा आंतकियों ने समुद्र के रास्ते ही मुंबई में हमला किया था। जिसमें भारी जान-माल का नुकसान देश ने उठाया था। मुम्बई पर हुए उस हमले के जख्म आज भी ताजा हैं। पाकिस्तान की खुफिया एजेंसी आईएसआई के आधार पर वहां के कोस्टगार्ड ने पोरबंदर के समुद्र में भारतीय मछुआरों की चार नौकाएं पकड़ी हैं। भारतीयों के पहचान पत्र, दस्तावेज आदि भी छीन लिए गए हैं।
यह भी चिन्ता का विषय है कि हमारी सुरक्षा ऐजेन्सियों को इन आतंकियों को परखने और पकड़ने में तीन साल लग जाते हैं। क्या यह भी देश के सुरक्षा के साथ खिलवाड़ की परिधि में नहीं आता है। अथवा पहचान पहले ही लिया था,केवल अच्छे दिन का इंतजार कर रहे थे।
खुफिया सूत्रों को आशंका है कि 26/11 के हमले की तर्ज पर समुद्री रास्ते से घुसकर आतंकी हमारे नेताओं को निशाना बना सकते हैं, लिहाजा दोनों की सुरक्षा बढ़ा दी गई है और उनके कार्यक्रमों और रास्ते को सार्वजनिक नहीं किया जा रहा है। यह खुला तथ्य है पाकिस्तान प्रायोजित आंतकवाद से पूरा देश परेशान है। आंतकी कई बड़ी वारदातों को अंजाम दे चुके हैं। जिसमें जान माल का भारी नुकसान हुआ। देखा जाए तो आंतकवाद आज पूरे विश्व के लिये बड़ी चुनौती बना हुआ है। जिससे निपटने के लिये दुनिया के तमाम देश चिंतिंत हैं।

बहरहाल आतंकवाद, यदि, गुजरात चुनाव में मुख्य मुद्दे के तौर पर उभरता है, तो विकास का मुद्दा काफी पीछे छूट सकता है। बेरोजगारी, महंगाई, किसानों की जो समस्याएं उभर कर सामने आई थीं, उन पर विमर्श कम हो सकता है। प्रधानमंत्री मोदी ने पत्रकारों के संग दीपावली मिलन समारोह के मौके पर बतियाते हुए कहा-‘मैं गुजरात! मैं विकास हूं!’ वह इसे साबित करने के मूड में हैं, लेकिन अहमद पटेल और आईएस आतंकियों के समीकरणों का रहस्योदघाटन गुजरात के मुख्यमंत्री विजय रुपानी ने ही किया है, जिसे हल्के में नहीं लिया जा सकता। रूपानी जिम्मेदार पद पर आसीन हैं। उनके पास राज्य की सुरक्षा से जुड़े तमाम अहम मुद्दों की जानकारी होगी। वो अलग बात है कि यह जानकारी चुनाव के समय सामने आयी है जिसके चलते विरोधियों को भाजपा पर आरोप लगाने का अवसर मिल रहा है।

अहमद पटेल ने इन आरोपों को सिरे से खारिज कर दिया है। और कहा है कि बीजेपी को राष्ट्रीय सुरक्षा से जुड़े संवेदनशील मुद्दों पर राजनीति नहीं करनी चाहिए। उन्होंने इसे गुजरातियों को बांटने की कोशिश बताया। अस्पताल ने भी कहा कि अहमद पटेल या उनके परिवार का कोई सदस्य ट्रस्टी नहीं है। वहीं कांग्रेसी दुष्प्रचार कर रहे हैं कि अहमद पटेल का राज्यसभा सांसदी से इस्तीफा इसलिए मांगा जा रहा है, क्योंकि उस चुनाव में हार से भाजपा खीझ की मनोदशा में है। ऐसी दलीलों से आतंकवाद सरीखे मुद्दों पर पर्दा नहीं डाला जा सकता।

असल में आंतकवादी देश में जान माल का नुकसान कई बार कर चुके हैं। सीमा पर आये दिन आंतकी किसी न किसी घटना को अंजाम देते रहते हैं। चुनाव में जीत हार चलती रहती है। देश और नागरिकों की सुरक्षा से कोई समझौता या राजनीति नहीं की जा सकती। असल में यह मामला अत्यधिक गम्भीर है। सुरक्षा एजेंसियों को मामले की तह तक जाकर सच्चाई का पता लगाना चाहिए। केंद्र और गुजरात सरकार की खुफिया एजेंसियां मिल कर गहन जांच-पड़ताल करें। जो भी निष्कर्ष सामने आता है, उसे सार्वजनिक कर कार्रवाई करें।

-लेखक स्वतंत्र पत्रकार हैं।

आप हमें फेसबुक और गूगल प्लस पर ज्वॉइन करें, ट्विटर पर फॉलो करे…

राज्‍यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्‍ट हि‍न्‍दी खबर से जुड़ी जानकारी के लि‍ये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।

Related Articles

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *

This site uses Akismet to reduce spam. Learn how your comment data is processed.

Back to top button

sbobet

https://www.baberuthofpalatka.com/

Power of Ninja

Power of Ninja

Mental Slot

Mental Slot