तब इस बीमारी के वाहक सूअर थे। 2004 में बांग्लादेश में कुछ लोग खजूर के पेड़ से निकलने वाले तरल को चखने से इस वायरस की चपेट में आए। उस वक्त इस वायरस का वाहक Fruit Bat था। इसके संक्रमण से सांस लेने से जुड़ी गंभीर बीमारी हो सकती है या फिर जानलेवा इंसेफ्लाइटिस भी अपनी चपेट में ले सकता है, जिसमें दिमाग को नुकसान होता है।
इससे मरीज कोमा में भी जा सकता है। इस बीमारी को दूर करने के लिए अभी तक कोई इंजेक्शन नहीं ईजाद हो पाया है। 5 से 14 दिन तक इसकी चपेट में आने के बाद यह वायरस तीन से 14 दिन तक तेज बुखार और सिरदर्द की वजह बन सकता है। अन्तत: इससे मौत की संभावना बढ़ जाती है।
राज्यों से जुड़ी हर खबर और देश-दुनिया की ताजा खबरें पढ़ने के लिए नार्थ इंडिया स्टेट्समैन से जुड़े। साथ ही लेटेस्ट हिन्दी खबर से जुड़ी जानकारी के लिये हमारा ऐप को डाउनलोड करें।