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तिब्बत की स्वतंत्रता भारत के उत्तरी सीमांत की सुरक्षा के लिए जरुरी
By: डा0 समन्वय नंद
जब तिब्बत पर चीन का कब्जा नहीं था, तब तिब्बत में डाक घरों की जिम्मेदारी भारत की थी। तब भारतीय अवाध रुप से कैलास मानसरोवर की यात्रा कर सकते थे। भारत व तिब्बत की सीमा पर थोडे ही सैनिक तैनात होते थे। लेकिन तिब्बत पर चीन के कब्जे के बाद स्थितियां बदलीं और भारत का पूरा उत्तरी सीमांत असुरक्षित हो गया। सीमा पर सुरक्षा के लिए अब काफी खर्च करना पड रहा है।
तिब्बतीयों को पूर्ण विश्वास था कि यदि उन चीन उन पर हमला करेगा तो भारत उनकी रक्षा करेगा। लेकिन भारत के तत्कालीन नेतृत्व ने तिब्बत की सुरक्षा की बात तो दूर बल्कि चीन को कब्जा करने के लिए छोड दिया। ऐसा कर भारत ने तिब्बत के प्रति एक तरह से विश्वासघात किया।
इस विश्वासघात का परिणाम भारत को भी उठाना पडा, जब चीन की लाल सेना ने भारत पर 1962 मे हमला कर दिया और अभी भी भारतीय जमीन चीन के कब्जे में है। अमेरिका समेत अन्य पश्चिमी देशों के लिए तिब्बत राजनीति का विषय हो सकता है लेकिन भारत के लिए यह जीवन मरण का प्रश्न है। आदि योगी शंकर के निवास स्थल कैलास पर्वत को तो मुक्त कराना ही होगा।
डा0 समन्वय नंद
ह्वाट्सएप नंबर – 9438413704
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