धोखा-धड़ी
कोयले की काली कमाई पुत गई चेहरे पर
इसी को आधार बनाकर तत्कालीन मधु कोड़ा सरकार ने यह कोयला खदान विसुल को आवंटित कर दिया। साल 2007 में हुए इस आवंटन के बदले अरबों रुपये की रिश्वतखोरी और हेराफ़ेरी का आरोप लगाया गया।
आरोप है कि स्क्रीनिंग कमेटी ने इस मामले में तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह को भी अंधेरे में रखा। तब कोयला मंत्रालय का प्रभार भी प्रधानमंत्री के ही पास था। लिहाज़ा उन्हें इसकी जानकारी दी जानी थी।
इस मामले में पक्के सबूत मिलने के बाद प्रवर्तन निदेशालय (इडी) ने 9 अक्टूबर 2009 को मधु कोड़ा और दूसरे अभियुक्तों के ख़िलाफ़ रिपोर्ट दर्ज कराई थी।
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