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Mama ji वानप्रस्थ के भारी-भरकम भय से त्रस्त हैं
किसी भारी भरकम भय से त्रस्त हैं मध्यप्रदेश के Mama ji कहे जाने वाले मुख्यमंत्री शिवराज सिंह । शिवराज ही क्यों, समूची भाजपा ही इस समय “अज्ञात भय” और संभावित हार की शिकार लगती है। एक ओर जहाँ भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह अपने बेटे की बूमिंग व्यापारिक गतिविधियों” की सुर्ख़ियों में उलझे हैं तो वहीँ दूसरी ओर प्रधानमंत्री मोदी, गुजरात में होने वाले विधान सभा चुनाव से भी डरे हुए लगते हैं।
सभी को पसीना छूट रहा है। Mama ji अपनी संभावित हार से डरे हुए हैं। ये बात एक कार्यक्रम में Mama ji के इस बयान से उजागर होती है कि मैं रहूं या न रहूं लेकिन मैं कन्याओं के लिए ऐसा कुछ कर जाऊंगा की उनकी पढ़ाई लिखाई आगे बदस्तूर जारी रह सके। एक नहीं, अनेक ऐसे ठोस कारण सामने हैं जो भाजपा खेमे में इस समय अज्ञात भय को जाहिर कर रहे हैं।
मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की एक सफल मुख्यमंत्रियों में गिनती होती है। लेकिन इस समय वह अपनी संभावित हार से डरे हुए हैं। प्रधानमंत्री मोदी अपने गृह क्षेत्र गुजरात में होने वाले चुनाव को लेकर पशोपेश में हैं। वहां कांग्रेस के युवराज मोदी और अमित शाह के बीच विकास पगला गया है पर खूब तालियां बटोर रहे हैं। यही नहीं, भाजपा के स्टार प्रचारक नरेंद्र मोदी की छवि यहाँ धूमिल पड़ती नजर आ रही है। तभी तो भाजपा बाहर से स्टार प्रचारक आयात कर वहां एक बार फिर से विकास मॉडल से इतर ” हिंदुत्व कार्ड” खेलने के लिए तैयार है।
राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह भी परेशान हैं। जो अमित शाह अनुशासन के कट्टर समर्थक माने जाते हैं वही अमित शाह लखनऊ में एक कार्यक्रम के दौरान 15 बार फोन पर बतियाते देखे गए। जो जाहिर करता है कि कहीं न कही भाजपा के “चाणक्य कहे जाने वाले अमित शाह बेहद परेशान हैं। परेशानी के दो कारण सामने दिखाए दे रहे। एक-तो उनके बेटे पर लगे गंभीर वित्तीय अनियमितता के आरोप और दूसरी ओर भाजपा का गिरता ग्राफ।
अब बात करते हैं मध्यप्रदेश के मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान की। इन दिनों भोपाल में आरएसएस की बैठक चल रही है। कुछ दिनों पहले अमित शाह भोपाल आए थे। शिवराज सिंह के चेहरे का रंग उस दिन भी उड़ा हुआ था। और अब जबकि आरएसएस की बैठक चल रही है तब भी वो असंयमित दिख रहे हैं। उनका चेहरा साफ बता रहा है कि उनके दिमाग का एक हिस्सा किसी उधेड़बुन में है।
बता दें कि एक गोपनीय रिपोर्ट यह भी आई है कि यदि भाजपा 19 के चुनाव में चेहरा बदल दे या फिर बिना चेहरे के चुनाव लड़े तो कांग्रेस को फिर से 70 पर समेटा जा सकता है। अब जबकि कांग्रेस की ओर से ज्योतिरादित्य सिंधिया लगभग तय हो गए हैं तो श्रीमंत को हराने का आनंद संघ हर हाल में उठाना चाहता है। फिर चाहे इसके लिए मामा को फार्महाउस पर ही क्यों ना भेजना पड़े।
व्यापमं के समय भी हुआ था ऐसा ही तनाव।
व्यापमं घोटाले के समय भी शिवराज सिंह चौहान ऐसे ही तनाव में दिखाई दे रहे थे। उन दिनों तो कई लोगों ने यह मान भी लिया था कि शिवराज सिंह चौहान इस्तीफा देकर चले जाएंगे। हालात विकट थे और सहयोगी कम होते चल रहे थे। तनाव इस कदर बढ़ा कि शिवराज सिंह कुछ नई बीमारियों से भी घिर गए। लेकिन चैत का सपूत इतनी आसानी से हार कहां मानने वाला था। एन मौके पर शिवराज सिंह ने बाजी पलटी और अब व्यापमं के भूत से उन्हें तो छोड़िये किसी को भी डर नहीं लगता, क्योंकि सीबीआई सही में पिंजरे का तोता ही हो गई है।
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